श्रीलंका की SL 8306, SLI 121, SL 88-116 गन्ने की किस्में भारत में भी समुद्र तटीय इलाकों में उत्पादन बढ़ाने में हो सकती है मददगार

कोलम्बो, 2 मार्च: दक्षिण एशियाई देश श्रीलंका क्षेत्रफल और जसंख्या के मामले में जितना छोटा है उसी अनुपात मे् यहां का कृषि एरिया भी सिमित है। लेकिन यहां की कृषि शिक्षा और शोध प्रणाली भारत सहित दुनिया के अन्य देशों के लिए प्रेरणादायी है। यहां पर सीमित क्षेत्र में गन्ने की खेती होने के बावजूद गन्ने का उत्पादन 365,655 (2017) प्रति हैक्टेयर है जो दुनिया के अन्य गन्ना उत्पादक देशों के लिए नज़ीर हैं। यहां के गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार की गयी क़िस्में न केवल श्रीलंका में उपयोगी साबित हो रही है बल्कि लंका से बाहर भी काफी लोकप्रिय हो रही है। श्रीलंका के पूर्व वृक्षारोपण फसल विकास मंत्री रत्नेश्वरि विक्रमनायका ने कहा कि जब मै मंत्री था तब मैने गन्ने की ऐसी किस्में तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को निर्देंश दिये थे जो समुद्र तटीय इलाकों में जहां बहुतायत में गन्ने की खेती होती है वहां पर अच्छा उत्पादन दें। हमारे गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गन्ने की ऐसी पादप प्रजनक किस्में तैयार की है जो न केवल प्रति हैक्टेयर गन्ने का उत्पादन बढाती है बल्कि गन्ने में शुगर की मिठास को भी बेहतर करने का काम करती है। हमारे यहां से गन्ने की SL 8306, SLI 121, SL 88-116 किस्में तैयार की गयी है जो समुद्र तटीय इलाकों में उत्पादन बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो रही है। इस किस्मों को दक्षिण भारत के लोग भी उपयोग ले सकते है जहां पानी खारा है या सीमित पानी के साथ समुद्र तटीय इलाको में गन्ने की खेती हो रही है। विक्रमनायका ने कहा कि इन किस्मों में अच्छा उत्पादन देने के साथ शुगर की मात्रा बढाने के गुण मौजूद है। भारत सरकार को इनके लिए स्वीकृति देना चाहिए ताकि दक्षिण भारतीय किसानों के खेतों में भी इन किस्मों को उगाकर गन्ना किसान लाभान्वित हो।

श्रीलंका के गन्ना अनुसंधान संस्थान के चेयरमैन डॉ अरुणासूर्या ने कहा कि ये किस्में चीनी की पैदावार बढाने के अलावा कीटों और रोगों के प्रति सहिष्णु भी है। चीनी उद्योग से जुड़े सभी उद्यमी इन किस्मों को अपने बागानों में काफी हद तक उगा रहे है। इसके अलावा हमारे वैज्ञानिकों ने गन्ने की खेती में उच्च पैदावार के लिए अग्रणी तकनीक से युक्त बेहतर कृषि प्रक्चिटस एसआरआई विकसित किए हैं।

डॉ अरुणासूर्या ने कहा कि वर्तमान में यहां गन्ने की किस्मों का उच्च विकास कर गन्ने की पैदावार बढाने, कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधी किस्में तैयार करने, गन्ना उगाने वाले क्षेत्रों में खेती के लिए सुविधाएं बढ़ाने, बेहतर एवं किफायती फसल प्रबंधन करने जैसे कई नवाचार हो रहे है। इन शोध कार्यों से न केवल गन्ने की खेती से जुडे श्रीलंका के किसानों को फायदा हुआ है बल्कि भारत जैसे मित्र देश में गन्ने की खेती को प्रोत्साहन देकर चीनी उद्योग के विविधीकरण के लिए प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने में भी मदद मिल रही है।

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