गोवा की संजीवनी चीनी मिल पर सस्पेंस अभी भी बरकरार

पणजी: गोवा के संजीवनी चीनी मिल को शुरु करने का फैसला गोवा सरकार अबतक नहीं कर पाई है कि क्या इसे फिर से पुर्नजीवित किया जाए या इसे बंद कर दिया जाए। इस संशय के कारण संजीवनी चीनी मिल में पेराई शुरु करने को लेकर संकट मंडराने लगा है।

वैसे राज्य सरकार किसानों के गन्ने से नियमित भाव से खरीदेगी। चीनी सहकारी समिति के रजिस्ट्रार मेनिनो डिसूजा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों से गन्ने की खरीद तो करेगी लेकिन कारखाने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार को हमने एक प्रस्ताव दिया है।

संजीवनी चीनी मिल भारी घाटे में हैं और चलाने के लिए उसके नवीनीकरण की सख्त जरूरत है। यह मिल 40 साल पुरानी है और गन्ने की कम आपूर्ति के कारण इसे चलाया नहीं जा सका है। इस मिल में उत्पादन गन्ने की गोवा और कर्नाटक में पर्याप्त सप्लाई पर निर्भर करती है।

इसके अलावा, यह मिल सरकार की वित्तीय सहायता पर भी चलती है। कुछ सरकारी विभाग इसे बंद करने की सलाह दे रहे हैं जबकि स्थानीय किसान इसे शुरु करने के पक्ष में हैं और मिल में काम कर रहे कर्मचारी चीनी मिल को बंद करने के सुझाव का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

अधिकारियों का मानना है कि गोवा में गन्ने की पर्याप्त खेती नहीं होती है। ऐसे में चीनी मिल को चलाने का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा, यहां के गन्ने अन्य राज्यों की तुलना में कम गुणवत्ता वाले है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संयंत्र को कुशल बनाने के लिए सरकार को भारी निवेश करना होगा। मिल की सभी मशीनरियों को बदलना होगा।

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