कोयंबटूर: तमिलनाडु के कुछ जिलों में गन्ने के रकबे में गिरावट देखी जा रही है। कोयंबटूर जिले की ही बात करे तो, 2017 के बाद से जिले में गन्ने की खेती के क्षेत्र में सुधार नहीं हुआ है, क्योंकि 2016 के सूखे के बाद यह 50% तक सिकुड़ गया था। पानी और श्रम की कमी, उच्च श्रम लागत के कारण किसानों का गन्ने की खेती से मोहभंग हुआ हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कृषि विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जिले में 2016 में 792 हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई थी। उस वर्ष सूखे के बाद, 2017 में किसानों ने केवल 401 हेक्टेयर पर फसल की खेती की थी। इसके बाद, पिछले दिसंबर में 400 हेक्टेयर में खड़ा था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) -सुगरकेन प्रजनन संस्थान के निदेशक डॉ बख्शी राम ने कहा कि, गन्ने की खेती के लिए 1,500 मिमी से 2,000 मिमी की वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है, और जिले में कुछ वर्षों तक अपर्याप्त मॉनसून वर्षा हुई थी। जिसके कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। उन्होंने कहा, बहुत कुछ किसानों के हित पर भी निर्भर करता है। चूंकि जिले में चीनी मिलें नहीं हैं, इसलिए यहां गन्ने की खेती को बढ़ावा नहीं दिया जाता है। परिवार तभी लाभ कमा सकते हैं जब उत्पादन चीनी मिलों को भेजा जाए।