धर्मपुरी: तमिलनाडु के पलाकोड में गन्ने की खेती करने वाले किसान फसल के लिए पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं, क्योंकि इस इलाके का भूजल स्तर काफी कम हो गया है। किसानों ने इस स्थिति से निपटने के लिए कृषि विभाग और चीनी मिलों से उपज बढ़ाने के लिए नई तकनीक इजाद करने और पलाकोड सहकारी चीनी मिल को शुरू करने का आग्रह किया है। धर्मपुरी में किसानों की मुख्य चिंताओं में से एक पानी की कमी की समस्या है, क्योंकि केसरगुली बांध, थोप्पैयार बांध और चिन्नार बांध (पंचपल्ली) सहित अधिकांश जलाशय 50 प्रतिशत से कम है और भूजल स्तर लगातार घट रहा है। किसानों ने आरोप लगाया कि, पिछले दो वर्षों से पलाकोड सहकारी चीनी मिल के निष्क्रिय रहने के बाद मिल में उनकी हिस्सेदारी काफी कम हो गई है।
द न्यु इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पुलिकराइ के किसान चिन्नासामी ने कहा, दशकों से, धर्मपुरी को सूखा-प्रवण इलाकें के रूप में पहचाना जाता है, फिर भी, भूजल की कमी को रोकने के लिए कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया गया है। कई किसान बोरवेल में निवेश कर रहे हैं, लेकिन बोरवेल भी विफल हो रही हैं। हमारी अधिकांश झीलें साल भर सूखी रहती हैं और बिना पानी के हम गन्ने की खेती कैसे करेंगे?। खर्चों के बारे में बताते हुए, चिन्नासामी ने कहा, श्रम की लागत तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल, हमें श्रमिकों के लिए प्रति व्यक्ति 900 रुपये से अधिक का भुगतान करना पड़ा था और यहां तक कि छोटे खेतों के कार्यों को पूरा करने के लिए भी कम से कम पांच लोगों की आवश्यकता होती है। श्रमिकों के शुल्क में वृद्धि से हमें कोई लाभ नहीं मिलता है। पिछले कुछ वर्षों में गन्ने की खरीद मूल्य में कोई बदलाव नहीं हुआ है और अगर बढ़ोतरी भी हुई है, तो यह लगभग काफी कम है। उर्वरक और श्रम लागत का हिसाब लगाया जाये, तो किसानों को गन्ने की खेती से बहुत अधिक नुकसान हो रहा हैं।
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