ऊर्जा-कुशल हाइड्रोजन उत्पादन के लिए नए उत्प्रेरक के प्रयोग की प्रविधि यूरिया-समर्थित जल के विखंडन को सुगम बना सकती है

वैज्ञानिकों ने एक नए उत्प्रेरक की पहचान की है जो यूरिया का कुशलतापूर्वक ऑक्सीकरण कर सकता है और यूरिया-समर्थित जल के विखंडन द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ऊर्जा की मांग को कम कर सकने के साथ ही हरित ईंधन के बेहतर उत्पादन के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है।

जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को पलटने में हाइड्रोजन ऊर्जा के महत्व को समझते हुए वैज्ञानिक समुदाय स्वच्छ ऊर्जा परिदृश्य में एक प्रमुख अवयव , हाइड्रोजन के उत्पादन में क्रांति लाने के प्रयास तेज कर रहा है। कैथोड पर हाइड्रोजन का विद्युत अपघटनीय (इलेक्ट्रोलाइटिक) उत्पादन स्वाभाविक रूप से स्वच्छ और हरित होने के बावजूद एनोड (काउंटर इलेक्ट्रोड) पर ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया में व्यय हो रही ऊर्जा की मांग से बाधित हो जाता है। ऑक्सीजन बनने की इस क्रिया को अन्य एनोडिक प्रक्रियाओं जैसे कि यूरिया इलेक्ट्रो-ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया (यूओआर) के साथ बदलने से एक ऐसा व्यवहार्य समाधान निकलता है, जिसमें समग्र सेल क्षमता कम होती है। पानी में यूरिया मिलाने से, व्यावहारिक रूप से विद्युत रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमिकल) हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ऊर्जा की मांग को लगभग 30% तक कम करना दिखाया गया है। इससे न केवल विद्युत ऊर्जा का इनपुट कम होने के साथ ही पानी से हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में कमी आती है, बल्कि यूरिया को नाइट्रोजन, कार्बोनेट और पानी में परिवर्तित करते हुए ऊर्जा उत्पादन के साथ अपशिष्ट जल से यूरिया को पुनः प्राप्त करने का आश्वासन भी मिलता है । इस प्रतिक्रिया के संभावित लाभों के बावजूद अभी तक विकसित उत्प्रेरक सीओएक्स (Cox) विष (यूओआर के सह -उत्पाद) के प्रति स्थिर रूप से संवेदनशील नहीं हैं, जिससे इस प्रक्रिया के उद्योग- स्तरीय (इंडस्ट्री –स्केल) कार्यान्वयन में बाधाएं आ रही हैं।

नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज -सीईएनएस), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों – श्री निखिल एन. राव, डॉ. एलेक्स चंद्रराज और डॉ. नीना एस. जॉन की एक टीम ने धात्विक चालकता के साथ यूरिया का कुशलता से ऑक्सीकरण करने वाली एक गैर-उत्कृष्ट धातु उत्प्रेरक, एनआई3+ -समृद्ध नियोडिमियम निकेलेट (एनडीएनआईओ3) का प्रदर्शन किया है, जिससे यूरिया-सहायता प्राप्त जल विभाजन द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ऊर्जा की मांग कम हो जाती है।

यूरिया के वैद्यत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के लिए उच्च-संयोजकता वाले (हाई वैलेंट) निकेल (एनआई) -ऑक्साइड पर आधारित उच्च-सक्रिय और सहनशील उत्प्रेरक विकसित करने के लिए चल रही परियोजना के एक हिस्से के रूप में यह जांच की गई थी जिसे तत्कालीन विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), और अब एएनआरएफ द्वारा समर्थन मिला हुआ है। इस टीम ने यूओआर के लिए एक विद्युत उत्प्रेरक (इलेक्ट्रोकैटलिस्ट) के रूप में नियोडिमियम निकेलेट का उपयोग किया, और एक्स-रे अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी, विद्युत् रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमिकल) प्रतिबाधा (इम्पीडेंस) स्पेक्ट्रोस्कोपी, और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों का उपयोग करके संचालनीय परिस्थितियों में ऑपरेंडो प्रदर्शन किया, जिससे यह पुष्टि हुई कि उत्प्रेरक विशेष रूप से ‘प्रत्यक्ष तंत्र (डायरेक्ट मैकेनिज्म)’ के माध्यम से प्रतिक्रिया चलाता है। ‘. इलेक्ट्रोकेमिकल रूप से सक्रिय नियोडिमियम निकेलेट द्वारा प्रदर्शित यह प्रत्यक्ष तंत्र अपने न्यूनतम उत्प्रेरक अधपतन और पुनर्निर्माण के लिए खड़ा रहता है, और यह यूओआर के प्रत्येक चक्र के बाद पुनर्जनन की आवश्यकता वाले उस अप्रत्यक्ष तंत्र के विपरीत है जो एनआई2+ – समृद्ध निकल ऑक्साइड (एनआईओ जैसे समृद्ध उत्प्रेरक में प्रचलित है। इस उत्प्रेरक में क्रिया में तेजी लाने वाली बेहतर प्रतिक्रिया गतिकी (सुपीरियर रिएक्शन काईनेटिकस) और लंबे समय तक विद्युत् अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के दौरान बढ़ी हुई ऐसी स्थिरता होती है जो एक अच्छे विद्युत् उत्प्रेरक (इलेक्ट्रोकैटलिस्ट) के गुण हैं।

सीओएक्स (Cox) विषों द्वारा उत्पन्न इस चुनौती को संबोधित करने की दिशा में नियोडिमियम निकेलेट एक ऐसे आशाजनक समाधान के रूप में उभरता है, जो यूओआर उत्प्रेरक को निष्क्रिय करने और उनके दीर्घकालिक इलेक्ट्रोलिसिस स्थायित्व से समझौता करने के लिए जाने जाते हैं । सीओएक्स (Cox) विषों के प्रति इसकी असाधारण सहनशीलता इसे उल्लेखनीय विद्युत उत्प्रेरकीय (इलेक्ट्रोकैटलिटिक) स्थिरता प्रदान करती है। इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (आईएसीएस), कोलकाता से डॉ. मौमिता मुखर्जी और प्रोफेसर अयान दत्ता के सहयोग से की गई कम्प्यूटेशनल गणना इन प्रयोगात्मक निष्कर्षों को मान्य करती है।

उत्प्रेरक सामग्रियों पर प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक अनुसंधान प्रकाशित करने के लिए समर्पित एक पत्रिका एसीएस कैटालिसिस में प्रकाशित यह शोध कार्य भविष्य के ऐसे अध्ययनों को निर्देशित कर सकता है जिसका उद्देश्य एनआईओओएच प्रजातियों की संख्या को बढ़ाना और इन प्रजातियों को एनआई3+ -समृद्ध सब्सट्रेट्स पर स्थिर करना है। लक्ष्य उत्प्रेरक में सक्रिय निकेल (एनआई) के कम द्रव्यमान लोडिंग के साथ बेहतर प्रदर्शन प्राप्त करना है, जो टिकाऊ और कुशल हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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