हैदराबाद / निजामाबाद: तेलंगाना को 2014 में राज्य का दर्जा मिलने के बाद, टीआरएस ने आश्वासन दिया था कि निजाम डेक्कन शुगर्स लिमिटेड (एनडीएसएल) को पुनर्जीवित किया जाएगा। राज्य में सत्ता में आने के तुरंत बाद, तत्कालीन कृषि मंत्री पोचराम श्रीनिवास रेड्डी ने किसानों के एक समूह के साथ मिलकर महाराष्ट्र का दौरा किया, और किसानों द्वारा सहकारी आधार पर चलाए जानेवाली चीनी मिलों का अध्ययन किया। लेकिन फिर भी मिल शुरू करने को लेकर कोई भी ठोस कार्रवाई नही हुई।
हालांकि, मिल का पुनरुद्धार अब मुश्किल है, क्योंकि किसानों ने गन्ने की जहग अन्य फसलों की ओर रुख़ किया हैं। अगर मिल शुरू भी होती है तो, पूरी क्षमता के साथ चलाने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त गन्ना नही है। एक पूर्व कर्मचारी का कहना है कि प्रस्तावित सहकारी प्रणाली भी तेलंगाना में काम नहीं करेगी क्योंकि किसानों के पास निवेश के लिए इतनी बड़ी रकम नहीं होगी। एक और कारण यह है कि तेलंगाना में चीनी की रिकवरी महज आठ से दस फीसदी है, जबकि महाराष्ट्र में यह 13 से 14 फीसदी है। टीआरएस सरकार ने चीनी मिल के सभी कर्मचारियों को नियमित करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन वास्तव में कर्मचारियों ने अपनी नौकरी खो दी। मिल और डिस्टलरी के अलावा, नागार्जुनसागर के पास एक कार्यशाला है, जहाँ मिल के लिए आवश्यक सामग्री और घटकों का निर्माण किया जाता था। ।
बोधन गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष के श्रीनिवास रेड्डी का कहना है कि, अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहित करती है तो किसान गन्ना बढ़ाने के लिए तैयार हैं। कृषि मंत्री सिंगरेड्डी निरंजन रेड्डी का कहना है कि, आगामी विधानसभा बजट सत्र से पहले राज्य सरकार चर्चा के लिए एक मसौदा नोट के साथ आएगी। हम महाराष्ट्र की तरह सहकारी क्षेत्र में किसानों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। वहां किसान गन्ना उगाते हैं और चीनी मिल चलाते हैं।