मीठी चरी से प्राप्त प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक “शुगर सीरप” स्वीटनर की दुनिया में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है

कानपुर: आमतौर पर मीठी चरी का इस्तेमाल पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जाता है जिसको अब “प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक शुगर सीरप” के उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा और इसकी तुलना शहद से की जा सकती है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने पहले इसके रस से इथेनॉल के उत्पादन पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इससे प्राप्त रस की गुणवत्ता का अध्ययन करने के दौरान, संस्थान के शोधकर्ताओ ने जब इसकी शुगर प्रोफाइल देखी तो उसमें फ्रुक्टोज, ग्लूकोज और सुक्रोज की उपस्थिति मिली जिसे शहद के गुणों वाले “शुगर सिरप” में परिवर्तित किया जा सकता था। “मीठी चरी से प्राप्त प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक “शुगर सीरप” जो काफी हद तक “शहद” जैसा दिखता है, यह स्वीटनर की दुनिया में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है। इस प्रकार से प्राप्त शुगर सीरप पेय पदार्थ, मिष्ठान्न (कन्फेक्शनरी), मिठाई और बेकरी क्षेत्र के लिए अत्यधिक उपयोगी है, तथा क्रिस्टलीय चीनी को सीरप बनाने की जटिल प्रक्रिया से छुटकारा दिलाएगा। साथ ही साथ, कच्चे माल की कम लागत तथा चीनी को पहले क्रिस्टलीय (दाने दार) बनाने तदुपरान्त पुन: गलाने से भी बचत के कारण दाम कम होने की संभावना है।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक, प्रो. नरेन्द्र मोहन ने बताया कि संस्थान के शर्करा शिल्प अनुभाग में कार्यरत सुश्री अनुष्का अग्रवाल और उनका सहयोग कर रही सुश्री श्रुति शुक्ला के समन्वित एवं अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस “प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक शुगर सीरप” के उत्पादन की प्रक्रिया संभव हो पायी है। इस संबंध में सुश्री अनुष्का अग्रवाल ने बताया कि इस प्रक्रिया में स्टेनलेस स्टील से बने एक्सट्रैक्टर, माइक्रो-फिल्ट्रेशन, ऑर्गेनिक क्लेरिफाइंग एजेंटों के उपयोग के माध्यम से क्लैरीफिकशन, आयन-एक्सचेंज रेजिन के माध्यम से डी-कलराइजेशन और नियंत्रित परिस्थितियों में उबाल कर गाढ़ा करने की क्रिया आदि शामिल हैं। खेतों से मीठी चरी की कटाई से लेकर इसको “सुगर सिरप” में परिवर्तित किये जाने तक की संपूर्ण प्रक्रिया संस्थान के निदेशक, प्रो. नरेन्द्र मोहन के कुशल मार्गदर्शन में संपन्न हुई।

मीठी चरी से बनाये जाने वाले “सुगर सिरप” में प्रोटीन, अनिवार्य अमीनो एसिड, खनिज आदि तो मूल रूप से फसल में मौजूद होने के कारण होते ही हैं इसके साथ इसमें फ्रक्टोज (34 – 36%), ग्लूकोज(29-32%) और सुक्रोज (6-7.5%) की मात्रा में उपलब्ध रहता है तथा इसकी कुल उर्जा लगभग 296 kCal/100 ग्राम होती है जब की चीनी में 400kCal/100 एवं शहद में 325kCal/100 ग्राम के बराबर होती है। इस प्रकार, इसकी सीमाओं का विस्तार कर इसको स्वास्थ्यवर्धक मीठे पेय पदार्थ के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

इसको वातावरणीय तापमान (35 डि.से. या के लगभग) में बिना रासायनिक परिरक्षक (प्रिजरवेटिव) के उपयोग के एक वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है। चूंकि शर्करा में मुख्य रूप से ग्लूकोज और फ्रक्टोज होते हैं, इसलिए भंडारण पर पुनः क्रिस्टलीकरण की समस्या से होती है। प्रो. नरेंद्र मोहन ने कहा कि हमने यह भी देखा है किइसमें फ्रक्टोज: ग्लूकोज अनुपात (एफ / जी अनुपात) शहद से तुलनात्मक है।

इस प्रकार के “शुगर सिरप” में एक खास सोंधी सुगंध और स्वाद होता है एवं इसके साथ ही इसमें ग्लासी फिनिश पायी जाती है जो पेय पदार्थ, मिठाई, कन्फेक्शनरी, बारबेक्यू मैरिनेड्स, सलाद ड्रेसिंग, ग्रेनोलस, कुकीज के निर्माण उपयुक्त हो सकती है।

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