घरेलु और वैश्विक बाज़ार में टिकने के लिए चर्चासत्र की आवश्यकता

नई दिल्ली : चीनी मंडी

इस साल के क्रशिंग सीझन में चीनी का रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन होने का अनुमान जताया जा रहा है, पाहिले ही किसानों का बकाया,चीनी का स्टॉक, आंतरराष्ट्रीय बाजार में घटी मांग और कीमतों के कारण चीनी उद्योग बड़ी कठीन परिस्थीतीओंसे गुजर रहा है, अब इस साल के बम्पर गन्ना और चीनी उत्पादन से कैसे निपटा जाए, इस जद्दोजहद में सरकार, चीनी उद्योग और चीनी व्यापार से संबधित सभी घटक लगे है।

साल दरसाल की चीनी की बम्पर उत्पादन के परिणामस्वरूप चीनी की वैश्विक कीमतें कम हो रही हैं और घरेलू कीमते भी कमजोर पड़ रही है। अक्टूबर 2017 के क्रशिंग सीझन की शुरुआत से ही चीनी की कीमतों में 18% की कमी आई है। जिसके चीनी मिलों द्वारा बिक्री से प्राप्त राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है । 2017-18 चीनी की बिक्री कम होने परिणामस्वरूप किसानों का करोड़ो का गन्ना मूल्य बकाया है । घरेलू बाजार में चीनी के दर कम होकर भी कई चीनी मिलों ने हनने की बकाया राशी का भुगतान करने के लिए और आनेवाले सीझन में बम्पर उत्पादन के अनुमान के चलते कम कीमतों पर चीनी बिक्री की पेशकश की है।

चीनी की बम्पर उत्पादन के चलते केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को सितंबर 2018 तक न्यूनतम सूचक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) नीति के तहत 2 मिलियन टन तक चीनी निर्यात करने का निर्देश दिया था, जैसा कि 2015-16 चीनी मौसम के दौरान किया गया था। हालांकि, देश कई छोटी चीनी मिलें निर्यात के लिए उत्साहित नहीं दिखी। पिछले अढाई साल में चीनी की आंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमते तेजी से घटी है, इसके चलते चीनी निर्यात काफी कम हो रही है।

चीनी के अतिरिक्त उत्पादन के चलते चीनी मिलों के फायदे को भी प्रभावित किया है, चीनी की कीमतों में निरंतर हो रही गिरावट रोकने के लिए और किसानों की गन्ना मूल्य बकाया चुकाने के लिए सरकार ने चीनी का 29 रुपये प्रति किलो बिक्री के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य तय किया। चीनी मिलों पर स्टॉक होल्डिंग सीमा लगाकर 30 एलएमटी के बफर स्टॉक का निर्माण कराया गया। फिर भी चीनी के मांग धीमी और उत्पादन तेजीसे बढ़ रहा है।

दुनिया भर में खाद्य कंपनियों से चीनी की मांग घटने से चीनी की कीमतें तीन साल के निचले स्तर के करीब पहुंच चुकी हैं, मधुमेह, मोटापे और हृदय रोग सहित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बीच खाद्य कंपनियां चीनी का विकल्प ढूंढ रही है और शुगर फ्री’ ट्रेंड को अपना रही है। एक तरफ दुनियाभर में चीनी का रिकॉर्डस्तर पर उत्पादन होने की सम्भावना जताई जा रही है, तो दूसरी तरफ चीनी की मांग में कोई इजाफा नहीं देखा जा रहा । जबकि वैश्विक खपत अभी भी बढ़ रही है, लेकिन इस साल की औसत 1.4 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले दशक में 1.7 प्रतिशत थी।

चीनी उत्पादन में भारत ब्राजील के बाद दुनिया का नंबर 2 देश है। लेकिन वर्तमान स्थिती में अतिरिक्त स्टॉक, मांग में कमी और गिरते दाम की वजह चीनी उद्योग को भरी संकट में फसां है। इसीलिए आनेवाला क्रशिंग सीजन भी कड़वा साबित हो सकता है, चीनी उद्योग को इस समस्या से उभारने के लिए सभी घटकों को साथ में आकर कदम उठाने की जरुरत है ।

घरेलू और वैश्विक बाजार में चीनी की समस्या से निपटारा पाने के लिए समेलन, चर्चाओं की आवश्यकता है। दुनिया भर में विभिन्न पैनल की चर्चा, सम्मेलन हो रहें हैं। सम्मेलनों में होनेवाली चर्चा से चीनी उद्योग की समस्या का हल ढूंढा जा सकता हैं। दिल्ली में चीनी उद्योग को लेकर होने जा रहा सम्मेलन भी चीनी उद्योग के सभी घटकों के लिए कारगर साबित हो सकता है ।

किरण वाधवाना ने बताया कि, व्यापार संरचनाओं, वैश्विक आयात-निर्यात नीतियों और सरकारी सब्सिडी के लिहाज से वैश्विक चीनी बाजारों के लिए 2018-19 एक महत्वपूर्ण वर्ष है। चीनी उत्पादन और उसकी खपत के चलते आनेवाला साल चीनी उद्योग के लिए काफी चुनोतीपूर्ण रहने की उम्मीद है ।

दिल्ली में चीनी उद्योग को लेकर होने जा रहा सम्मेलन की मुख्य विशेषताएं देखि जाए तो इसमें, भारत का निर्यात धोरण, पड़ोसी देशों पर प्रभाव, भारत और बाकी दुनिया के लिए इथेनॉल में संभावित विकास के अवसर आदि चीनी उद्योग से संबधित सभी मुद्दों पर बाजार के दिग्गज चर्चा करेंगे।

मुख्य वक्ताओं में होंगे जोस ओरिव, कार्यकारी निदेशक, आईएसओ (अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन), डेनियल मोर्ले, सीईओ, बोन्सुक्रो, गेराल्डिन कुटास, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, यूएनआईसीए, बर्ट्रेंड बॉस्क, ग्लोबल हेड ऑफ शुगर एंजेलहार्ट कमोडिटीज ट्रेडिंग पार्टनर्स, कोना हक, ग्रुप रिसर्च ईडीएफ एंड मैन, लुका मेयरहोफर, ट्रेडिंग मैनेजर, लुई ड्रेफस कंपनी, यतिन वधवाना – मैनेजिंग डायरेक्टर, सुकड़ेन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, विक्रम टोले, हेड-इंडियन उपमहाद्वीप, अलवीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

एस एंड पी ग्लोबल प्लेट्स, भारतीय शुगर मिल्स असोसिएशन के सहयोग से ५ और ६ सितम्बर को 9 वां वार्षिक किंग्समैन एशिया शुगर कांफ्रेंस, लीला अम्बिएंस, गुडगाँव, नई दिल्ली में होने जा रहा है. 9वीं वार्षिक किंग्समैन एशिया शुगर सम्मेलन है उपस्थित होने के लिए पंजीकरण अथवा सूचना के लिए: 90 5511 5511 इस नंबर पर सम्पर्क करें

SOURCEChiniMandi

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