गन्ने के बगास से बने प्लेटों के उपयोग में आ रही है तेजी

मंगलुरु: ऐसे समय जब पूरा देश एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार है, मंगलुरु शहर में कैटरर्स ऐसे विकल्पों को अपना रहे हैं जो जैव-अवक्रमित और पर्यावरण-अनुकूल हैं। गन्ना बगास से बने कप और प्लेट इन विकल्पों में से एक हैं जो विवाह और अन्य समारोह के दौरान उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक उत्पादों की जगह ले रहे हैं।

जहां कई कैटरर्स ने प्लास्टिक से बने सामानों का इस्तेमाल बंद कर दिया है, वहीं कुछ ने स्टील से बने टम्बलर्स और प्लेट्स पर भी वापस जाना शुरू कर दिया है, जो पुन: उपयोग योग्य हैं। कैटरर्स का कहना है कि गन्ने के फाइबर से बने कप और प्लेट्स को पसंद किया जाता है क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल भी है।

कामथ कैटरर्स के पार्टनर्स सुधाकर कामथ ने कहा कि उन्होंने प्लास्टिक के कप और प्लेटों का इस्तेमाल एकदम बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने गन्ने के बगास से बने कप और प्लेटों का इस्तेमाल करना शुरू किया है क्योंकि सरकार ने सभी एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। हम प्लास्टिक के बजाए स्टील प्लेट और कप का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। कचरे को डिस्पोज करना हमारे लिए एक बड़ा बोझ है। इसलिए हम स्टील प्लेटों को अधिक पसंद करते हैं। हालांकि, जब हमारे ग्राहक डिस्पोजेबल और पर्यावरण के अनुकूल कप और प्लेट की मांग करते हैं, तो हम उन्हें गन्ने के फाइबर से तैयार उत्पादों का सुझाव देते हैं।

उन्होंने कहा कि चूंकि गन्ने के फाइबर से बने उत्पाद स्थानीय बाजार में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए कैटरर्स को इसे उत्तर भारत की कंपनियों से मंगवाना पड़ता है। गन्ने के फाइबर से बने कप और प्लेटों की कीमत तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती है, क्योंकि ये स्थानीय बाजार में उपलब्ध नहीं होते। इनकी कीमत कप और प्लेटों के आकार के आधार पर 4 रुपये से 12 रुपये तक होती हैं।

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