चीनी उद्योग से जुडी विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘फार्म प्रबंधन प्रणाली’ विकसित करने की जरूरत: ‘वीएसआई’ अध्यक्ष शरद पवार

पुणे : वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) द्वारा आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय चीनी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में ‘वीएसआई’ के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा की, देश के लगभग 50 मिलियन किसान 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। यह क्षेत्र बुनियादी ढांचे के मुद्दों के साथ-साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना करता है। इन मुद्दों को एक ‘फार्म प्रबंधन प्रणाली’ विकसित करके संबोधित किया जा सकता है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस), सेंसर प्रौद्योगिकी, जीआईएस, रोबोटिक्स इत्यादि जैसे नवीनतम उपकरणों को नियोजित करता है।मुझे विश्वास है कि, इस नवीनतम तकनीक को पेश करके सटीक कृषि को सर्वोत्तम तरीके से लाया जा सकता है ताकि भविष्य की फार्म तैयार किया जा सके।खाद्य सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रतिबद्धता और खाद्यान्न फसलों के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, इस उभरती हुई तकनीक के साथ, हम प्रति यूनिट भूमि पर बढ़ी हुई उत्पादकता और उच्च चीनी रिकवरी प्राप्त कर सकते हैं।

पवार ने आगे कहा की, संस्थान परिसर में आयोजित होने वाले इस तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। 2016 और 2020 में पिछले दो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और प्रदर्शनियों के सफल आयोजन के बाद, हम कृषि से लेकर चीनी पेराई और अल्कोहल, जैव-ईंधन, एथेनॉल और बिजली जैसे उप-उत्पाद के विकास तक सभी संबंधित मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए यहां एक साथ हैं।’चीनीमंडी’ इस सम्मेलन का मीडिया पार्टनर है।

आधुनिक तकनीक की उत्पादकता और चीनी रिकवरी बढाने में मदद…

उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि, स्वर्गीय वसंतदादा पाटिल के दूरदर्शी नेतृत्व में, सहकारी चीनी मिलों के गन्ना उत्पादकों ने चीनी उद्योग के लिए कुशल तकनीकी जनशक्ति प्रदान करने और गन्ना उत्पादकों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से 1975 में इस संगठन की स्थापना की थी। वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट (वीएसआई) ने चीनी और संबद्ध उद्योगों के सभी क्षेत्रों और गन्ना कृषक समुदाय के लिए इंटरैक्टिव मंच प्रदान किया है। यह दुनिया में अद्वितीय प्रकार का संस्थान है क्योंकि गन्ना, चीनी और उप-उत्पादों से जुड़े सभी विषय पर एक ही छत के नीचे समन्वय से कार्य किया जाता हैं। भविष्य का फार्म बनाने के लिए इस नवीनतम तकनीक को पेश किया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रतिबद्धता और खाद्यान्न फसलों के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, इस उभरती हुई तकनीक के साथ, हम उत्पादकता और उच्च चीनी रिकवरी प्राप्त कर सकते हैं।

पेराई अवधि 160 दिनों से घटकर 120 दिन हो गई…

पवार ने कहा, जैव-प्रौद्योगिकी, नैनो-प्रौद्योगिकी, आण्विक जीव विज्ञान, जीनोम की अगली पीढ़ी के अनुक्रमण और ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकी पर अधिक प्रोत्साहन देने की आवश्यकता भी देखता हूं क्योंकि चीनी उत्पादन जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता है, जिसके परिणामस्वरूप गन्ने की उपज कम हो जाती है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि, चीनी मिलें लगभग समान गन्ना उत्पादन के साथ पेराई क्षमता में साल-दर-साल वृद्धि कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेराई अवधि 160 दिनों से घटकर 120 दिन हो गई है। इसलिए, लगभग 200 दिनों तक, पेराई सत्र के दौरान पूरी चीनी मिल मशीनरी और जनशक्ति निष्क्रिय रहती है जिसके परिणामस्वरूप ओवरहेड्स और उत्पादन लागत बढ़ जाती है। बदलते समय के साथ, चीनी मिलों को एथेनॉल, संपीड़ित बायोगैस (सीएनजी), हाइड्रोजन, विमानन ईंधन और अन्य उत्पादों आदि के उत्पादन में विविधता लाकर संसाधनों का उपयोग करने का एक तरीका खोजने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एथेनॉल नीति सराहनीय…

पवार ने कहा, मुझे एथेनॉल सम्मिश्रण की सक्रिय नीति के लिए माननीय केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जी गडकरी की सराहना करनी चाहिए जो, आज दोपहर में यहां पहुंच रहे हैं। चीनी उद्योग ने पर्याप्त निवेश किया है और पिछले वर्ष 5,000 मिलियन लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की है और 12% मिश्रण हासिल किया है। चीनी मिलों ने इथेनॉल की बिक्री से 940 बिलियन रुपये का राजस्व अर्जित किया है। इस कार्यक्रम से सरकार को लगभग 240 बिलियन विदेशी मुद्रा रुपये बचाने में मदद मिली है।मैं केवल नीतिगत उतार-चढ़ाव से चिंतित हूं, जो एथेनॉल उत्पादन के नए प्रतिष्ठानों को प्रभावित करता है।एक बार चीनी निदेशालय की ओर से एथेनॉल के लिए गन्ने के रस और सिरप का उपयोग न करने की ऐसी अधिसूचना ने चीनी मिलों और डिस्टिलरीज में हलचल पैदा कर दी थी। मैं तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं, यह उद्योग के लिए राहत की सांस थी।

ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई तकनीकों को अपनाने की उम्मीद…

‘वीएसआई’ के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा की, एथेनॉल सम्मिश्रण के अलावा, हम ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई तकनीकों को अपनाने की उम्मीद कर रहे हैं जो भविष्य का ईंधन बनने वाली है। ग्रीन हाइड्रोजन आश्चर्यजनक रूप से स्वच्छ और कुशल ईंधन है क्योंकि दहन के बाद यह CO2 के बजाय केवल पानी पैदा करता है और तीन गुना बेहतर माइलेज भी देता है। मैं वैज्ञानिक समुदाय से इसे किफायती बनाने का आग्रह करूंगा। चीनी उद्योग में, संस्थान जल इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए सह-उत्पादन से उपलब्ध विद्युत ऊर्जा का उपयोग करने की संभावनाएं तलाश रहा है और मैं इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित डेमो प्लांट का दौरा करने का अनुरोध करूंगा।

वैज्ञानिकों, अनुसंधान विद्वानों, गन्ना उत्पादकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया…

पवार ने कहा, इस सम्मेलन को दुनिया भर के वैज्ञानिकों, अनुसंधान विद्वानों, गन्ना उत्पादकों और निर्माताओं से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। मुझे अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बेल्जियम, चीन, डेनमार्क, फ्रांस, फिजी, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, जापान, मलावी, नाइजीरिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, ओमान, फिलीपींस, श्रीलंका, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, युगांडा और वियतनाम के सभी प्रतिभागियों, प्रतिष्ठित विद्वानों, शोधकर्ताओं और गन्ना उत्पादकों का स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मुझे यकीन है कि सभी प्रतिनिधियों को इस सम्मेलन, चीनी एक्सपो और लाइव फसल प्रदर्शनों से लाभ होगा। बातचीत के दौरान उद्योग के समक्ष विभिन्न मुद्दों के समाधान की संकल्पना की जा सकती है जो आगे की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी।

इस अवसर पर जयप्रकाश दांडेगावकर, अध्यक्ष, नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड, पी.आर. पाटिल, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य एसएसके संघ लिमिटेड, गुइलहर्मे नास्तारी, निदेशक, डेटाग्रो (ब्राज़ील), डॉ. जर्मेन सेरिनो, सचिव, इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ शुगरकेन बायोटेक्नोलॉजी (आईसीएसबी, अर्जेंटीना), डॉ. माइकल बटरफ़ील्ड, वैज्ञानिक मामले प्रबंधक, सीटीसी (ब्राज़ील), संजय अवस्थी, अध्यक्ष, आईएसएससीटी परिषद और अध्यक्ष, द शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसटीएआई), एस.बी.भड़, अध्यक्ष, डेक्कन शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (डीएसटीए), एन चिनप्पन, अध्यक्ष, द साउथ इंडियन शुगरकेन एंड शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (SISSTA), सहकारी चीनी मिलों और निजी चीनी मिलों के अध्यक्ष, निदेशक मंडल और प्रबंध निदेशक, अनुसंधान संगठनों के प्रमुख, किसान बड़ी संख्या में मौजूद थे।इस सम्मेलन में देश-विदेश से दो हजार से अधिक प्रतिनिधि सहभागी हुए है।

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