अन्य चीनी मिलों के लिए आदर्श बन चुकी है ये चीनी मिल

श्रीगंगानगर, 19 नवम्बर: राजस्थान वैसे तो रेतीले धोरों की धरती के रूप में विख्यात है। लेकिन सूखा प्रदेश के नाम से चर्चित इस प्रदेश के कई ज़िलों में गन्ने की खेती भी की जाती है। प्रदेश के बूंदी, चित्तौडगढ और श्रीगंगानगर में गन्ने की काफ़ी खेती की जाती है लेकिन बहुतायत में गंगानगर में गन्ना होता हैं। गन्ने की खेती को देखते हुए यहाँ 1956 में सहकारी चीनी मिल की फ़ैक्ट्री खोली गयी थी। अपनी स्थापना से लेकर अब तक का शानदार सफ़र देख चुकी ये चीनी आज यहाँ के गन्ना किसानों की लाइफ़ लाइन के तौर पर जानी जाती है। बदलते दौर के साथ चीनी मिल ने भी अपने यहाँ अतिरिक्त आय के श्रोत बढ़ाए है। आज यहाँ गन्ने से चीनी उत्पादन के साथ साथ बायोगैस, स्प्रिट और ऊर्जा उत्पादन का काम भी हो रहा है। जिससे चीनी मिल अपने अतिरिक्त खर्चे पूरे करने का काम करती है। चीनी मिल की परिचालन प्रणाली और कार्य कुशलता के मसले पर बात करते हुए प्रदेश के सहकारिता मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि एक और जहां देश की कई चीनी मिलें आर्थिक तंगी से जूझती रहती है। आए दिन गन्ना किसानों का बकाया नहीं चुकाने की खबरें चर्चा में रहती है। वहीं इस सहकारी चीनी मिल में हम समय पर गन्ना किसानों का बकाया चुका रहे है। यहाँ सब काम व्यवस्थित तरीक़े से हो रहा है। गन्ने के हर भाग का यहाँ सदुपयोग कर हम उसे आर्थिक उपार्जन से जोड़ रहे है। मंत्री ने कहा कि गन्ना किसान यहाँ आकर खुश होते है। यहाँ चीनी मिल में न कोई आंदोलन होता है न कोई धरना प्रदर्शन। किसानों को समय पर पर्ची निमगमन कर उनका गन्ना ढुलाई कार्य कर गन्ने का दाम उनको तय समय पर दिया जाता हैं। ये चीनी मिल अन्य मिलों के लिए आदर्श है। यहाँ खुद मिल द्वारा तैयार बिजली का उपयोग मिल में हो रहा है। स्प्रिट तैयार कर के उसकी बिक्री की जा रही है। बायो गैस संयंत्र चल रहा है जो घरेलू काम में लिया जा रहा है।

सहकारी चीनी मिल के महाप्रबंधक केशर लाल मीणा ने कहा कि यह मिल सहकारी क्षेत्र की प्रदेश की अकेली चीनी मिल है। पहले ये मिल शहर में थी बाद में इसे गंगानगर सिटी से बाहर स्थापित किया गया जिसमें 200 करोड़ रूपयों की लागत आयी। आज इस मिल में सब तरह की तकनीक है। आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस चीनी मिल की क्षमता 1500 क्विंटल गन्ना प्रतिदिन है। मिल में गंगानगर हनुमानगढ़ के अलावा पंजाब व हरियाणा के किसान भी अपना गन्ना लेकर आते है। प्रदेश की दो अन्य चीनी मिलें फ़िलहाल कार्य की स्थिति में नहीं है इसलिये यहाँ काम का प्रेशर ज़्यादा है लेकिन शासन के आदेशानुसार किसानों को यहाँ हर तरह की सुविधा दी जा रही है। नापतौल, काँटा से लेकर पर्ची वितरण सहित तमाम काम सुचारु रूप से हो रहे हैं। मीणा ने कहा कि सरकार ने इस चीनी मिल को सेल्फ़ डिपेंडेंट बनकर अपने खर्चे खुद वहन करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हमने मिल में बिजली प्लांट लगाकर ऊर्जा तैयार करने और बायोगैस संयंत्र लगातार घरेलू गैस की आपूर्ति के करने और स्प्रिट की बिक्री कर अतिरिक्त आय कमा रहे है। इससे जहां गन्ना किसानों को फ़ायदा हो रहा है वहीं चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

अन्य चीनी मिलों के लिए आदर्श बन चुकी है ये चीनी मिल यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here