एथेनॉल उत्पादन और आपूर्ति की गति बनाए रखने के लिए OMCs को गन्ने से एथेनॉल की कीमत बढ़ाने की जरूरत: विजेंद्र सिंह

नई दिल्ली : जैसे-जैसे 2023-24 पेराई सीज़न नजदीक आ रहा है, भारत का चीनी उद्योग के सामने कई चुनौतियों खड़ी है। देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में सीमित वर्षा ने आगामी सीज़न के लिए उत्पादन संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है। आइए श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक और डेप्युटी सीईओ विजेंद्र सिंह से जानते है कि, नया पेराई सीजन कैसा रहेगा। ‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए, उन्होंने चीनी उत्पादन, वैश्विक चीनी कीमतों और एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) की प्रगति के दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की।

कर्नाटक और महाराष्ट्र में उत्पादन में गिरावट की संभावना…

आगामी 2023-24 सीज़न के लिए भारत में चीनी उत्पादन के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर, श्री सिंह ने मानसून पैटर्न के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की। भारत में इस मानसून सीजन के दौरान औसत से कम बारिश हुई है, खासकर दक्षिणी चीनी उत्पादक राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र में। हालांकि, फसल का उत्पादन सितंबर और अक्टूबर में होने वाली बारिश पर निर्भर करेगा, लेकिन फिलहाल गन्ने की फसल पिछले सीजन की तुलना में 10-15 फीसदी कम होने का अनुमान है। हालांकि, उत्तर प्रदेश से कुछ हद तक राहत मिल सकती है, जहाँ फसल स्थिर दिखाई देती है और पिछले साल के बराबर उत्पादन होने की उम्मीद है।

ब्राजील में 38-39 मिलियन टन चीनी उत्पादन संभव…

श्री सिंह ने वैश्विक चीनी कीमतों में वृद्धि के पीछे के कारकों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि, दुनिया में चीनी के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक ब्राजील में इस साल अच्छी फसल होने का अनुमान है। ब्राजील लगभग 38-39 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन कर सकता है, बशर्ते कि सीजन के दौरान बारिश इतनी अधिक न हो, जिससे मिलों का अपटाइम कम हो सकता है। इस वर्ष चुकंदर चीनी उत्पादन में सुधार हुआ है। भारत, थाईलैंड और पाकिस्तान जैसे अन्य चीनी उत्पादक देशों में गन्ने की फसल की मात्रा में गिरावट देखी जा रही है। चूंकि भारत में चीनी मिलों द्वारा चीनी निर्यात फिलहाल प्रतिबंधित है, वैश्विक बाज़ारों में लगभग 6 मिलियन मीट्रिक टन चीनी की कमी है। इन कारकों के कारण वैश्विक कीमतें ऊंची हो रही हैं।

EBP की प्रगति संतोषजनक…

भारत के एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP) के बारे में, श्री सिंह ने कहा कि एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 में EBP की प्रगति संतोषजनक रही है, और उन्हें वर्तमान एथेनॉल आपूर्ति वर्ष में 11.6% सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है। इस साल लगभग 500 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की गई है।2021-22 में, एथेनॉल की आपूर्ति 433 करोड़ लीटर थी, और 10% मिश्रण हासिल किया गया था।

हालांकि, उन्होंने आगामी सीजन के लिए संभावित चुनौतियों पर प्रकाश डाला। गन्ने की कमी के कारण कर्नाटक और महाराष्ट्र से एथेनॉल की आपूर्ति कम होने की उम्मीद है, और आसवनी संचालन भी आनुपातिक रूप से कम हो जाएगा। चालू वर्ष की आपूर्ति में, लगभग 20% एथेनॉल अनाज से उत्पादित होता है और यह देखा जाता है कि अनाज-आधारित एथेनॉल को बढ़ाने में अधिक समय लग रहा है। अनाज से एथेनॉल उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने हाल ही में अनाज से उत्पादित एथेनॉल की कीमत प्रति लीटर 3.71 रूपये तक बढाकर प्रोत्साहित किया है। हालाँकि, जैसे-जैसे कच्चे माल की कीमतें बढ़ी हैं, अनाज से एथेनॉल उत्पादन की रफ़्तार धीमी हो गई है।

गन्ने से एथेनॉल की कीमत बढ़ाने की जरूरत

श्री सिंह का मानना है कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को चीनी सीजन 2023-24 में उत्पादन और आपूर्ति की गति बनाए रखने के लिए गन्ने से एथेनॉल की कीमत बढ़ाने की जरूरत है। चीनी की कीमतें स्थिर रहने से, जब तक एथेनॉल की कीमतें पर्याप्त रूप से आकर्षक नहीं हो जातीं, मिलों में एथेनॉल की तुलना में चीनी का उत्पादन अधिक करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी। चूंकि आगामी चीनी सीजन में उतार-चढ़ाव की संभावना है, इसलिए हितधारक पेराई सीजन पर उनके प्रभाव का आकलन करने के लिए मानसून की प्रगति, वैश्विक बाजार की गतिशीलता और सरकारी नीतियों की बारीकी से निगरानी करेंगे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा…

वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन पर उनके विचार पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि, यह भारत सरकार का एक स्वागत योग्य कदम है। यह वैश्विक गठबंधन जैव ईंधन के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यापार को बढ़ावा देगा। सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) ढांचा यूरोप में स्थापित किया गया है और यह भारत के लिए एक नया बाजार खोलेगा और चीनी उद्योग नई तकनीक को अपनाने में अग्रणी हो सकता है। इससे निवेश भी आएगा, रोजगार भी आएगा और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

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