देश के जीडीपी को लेकर वित्तीय विशेषज्ञ का बुलिश आउटलुक

नई दिल्ली: विभिन्न विशेषज्ञों और वैश्विक एजेंसियों द्वारा 2022-23 के शुरू में जीडीपी के बारे किये गये अनुमानों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office/NSO) द्वारा जारी अंतिम अनुमानों के अनुसार, 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रही, जो अनुमानित 7 प्रतिशत से अधिक है। देश के बड़े बड़े वित्तीय जानकार भी भारत के जीडीपी ग्रोथ को लेकर काफी बुलिश है। केंद्र सरकार को भी उम्मीद है कि, आगे चलकर 2022-23 के जीडीपी नंबरों में ऊपर की ओर सुधार होगा।

भारत सरकार ने 2023-24 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों और कड़ी घरेलू मौद्रिक नीति के बावजूद, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत को 2023-24 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने का अनुमान लगाया है। इसके लिए निजी खपत में मजबूत वृद्धि और निजी निवेश में निरंतर तेजी जिम्मेदार है।

उद्योग निकाय फिक्की के अध्यक्ष सुभ्रकांत पांडा ने कहा, जीडीपी के आंकड़े सुशासन की पहल के हिस्से के रूप में सहायक नीतियों और सुधारों के कारण भारत की विकास क्षमता और लचीलेपन को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं।

कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के एमडी नीलेश शाह ने कहा कि, पिछले एक दशक में भारत के राजमार्ग नेटवर्क, विस्तार और बंदरगाहों की क्षमता, हवाई अड्डों, बिजली उत्पादन में बड़े पैमाने पर सुधार का असर देखने को मिल रहा है। शाह ने कहा, इन्फ्रा सेक्टर में हुआ सरकारी और निजी निवेश देश के विकास को बनाए रखेंगे और साथ ही भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में रखेंगे।

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के सीईओ आशीष चौहान के मुताबिक, 2023-24 के शुरुआती दो महीनों में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है। जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां और खपत बढ़ती है, देश के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।उद्योग निकाय कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री, भारत की 2023-24 की वृद्धि को 6.5-6.7 प्रतिशत पर देखता है।

सीआईआई के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के सामने लचीली बनी हुई है। उन्होंने कहा कि, सरकार द्वारा कैपेक्स पर जोर देने के अलावा, घरेलू अर्थव्यवस्था में लचीलापन कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट और एक अच्छी पूंजी वाली वित्तीय प्रणाली से आता है।

सोरिन इन्वेस्टमेंट्स के जनरल पार्टनर संजय नायर ने कहा, यह सिर्फ एक साल की संख्या नहीं है। यह सरकार द्वारा चलाई जा रही ढेर सारी पहलों का नतीजा है।उन्होंने कहा कि, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि भारत एशियाई देशों के बीच सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बनने की ओर अग्रसर है। यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल की छोटी सी अवधि में भारत ने विश्व व्यवस्था में स्थान हासिल किया है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अध्यक्ष जन्मेजय सिन्हा ने कहा, आईएमएफ, विश्व बैंक, मॉर्गन स्टेनली वे सब मानते हैं कि 2023 तक हम 7.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे।अगले सात वर्षों में, भारत एक और भारत जोड़ देगा और इसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में पूरा यूरोप जितना योगदान देता है, उतना योगदान अकेले भारत का होगा।

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