उत्तर प्रदेश: 19 ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं पाइपलाइन में

लखनऊ : यूपी की हाल ही में घोषित ग्रीन हाइड्रोजन नीति इस क्षेत्र में 1.95 लाख करोड़ रुपये की 19 परियोजनाओं को बल देगी। इन परियोजनाओं का वादा पिछले साल फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान किया गया था। उद्योग और बुनियादी ढांचा विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा, हम यूपी में प्रति वर्ष एक मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पन्न करने की क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। 19 ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं से अगले कुछ महीनों में 1.2 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होगी।

इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों ने दावा किया कि, राज्य को कई निवेश प्रस्ताव मिले हैं। ग्रीन हाइड्रोजन नीति लागू होने के साथ, राज्य अब पूंजी परिव्यय, भूमि उपलब्धता, बिजली पारेषण सहित अन्य चीजों में निवेश प्रोत्साहन देने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि, राज्य हरित हाइड्रोजन में अनुसंधान और नवाचार के लिए दो उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। इस संबंध में यूपी राज्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी को नोडल निकाय बनाया गया है।

वर्तमान में, यूपी में हाइड्रोजन की मांग 9 लाख टन प्रति वर्ष होने का अनुमान है, खासकर उर्वरक और रिफाइनरी क्षेत्रों में।इसके अलावा, नीति उन क्षेत्रों में हाइड्रोजन मिश्रण बढ़ाने पर जोर देगी जहां इसकी खपत होती है। ऐसा माना जाता है कि यह नीति बायोगैस और अन्य उद्योगों से उत्पादित कार्बन का उपयोग करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड रिकवरी इकाइयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगी।

अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रोलाइजर में पानी को तोड़कर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है, जिससे कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। बाद में, हाइड्रोजन को नाइट्रोजन के साथ मिलाकर ग्रीन अमोनिया बनाया जा सकता है।ग्रीन अमोनिया का उपयोग ऊर्जा को संग्रहित करने और उर्वरक बनाने के लिए किया जाता है।यूपी नदियों के अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाने में भी सक्षम होगा क्योंकि पानी हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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