उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव में चीनी उद्योग को लेकर आरोप-प्रत्यारोप

लखनऊ : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनितिक दल प्रदेश के लाखो गन्ना किसानों को लुभाने की कोशिशों में जुटे है, और इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि, भाजपा सरकार ने गन्ने की कीमत बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के किसानों की लगातार मांग को नजरअंदाज किया है और राज्य में एक समय फलने-फूलने वाले चीनी उद्योग की दुर्दशा को ‘अनदेखा’ किया है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा की, पिछली सरकारों ने किसानों का गन्ना भुगतान रोका जबकि भाजपा ने कई बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से शुरू किया।साथ ही नई चीनी मिलों का भी निर्माण किया, जिसका फायदा प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों को हो रहा है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इटावा और धौरहरा में रैलियों से पहले उनसे सवाल पूछे।रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, यूपी में गन्ने की कीमतें बेहद कम क्यों है?रमेश ने आगे कहा कि, कृषि मंत्रालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक है। फिर भी, भाजपा सरकार ने गन्ने की कीमत बढ़ाने के लिए किसानों की लगातार मांग को नजरअंदाज कर दिया है।

उन्होंने कहा कि, यूपी में गन्ने की कीमतें 360 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जो पंजाब में 386 रुपये प्रति क्विंटल और हरियाणा में 391 रुपये प्रति क्विंटल से कम है। मूल्य वृद्धि भी मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बिठाने में विफल रही है और किसान अब उर्वरकों और कीटनाशकों की बढ़ती लागत के कारण संघर्ष कर रहे हैं।कांग्रेस नेता ने कहा, पिछले तीन वर्षों में खेती का रकबा भी लगभग 4,000 हेक्टेयर कम हो गया है, जो अब यूपी की चीनी मिलों के लिए समस्या पैदा कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि, गन्ने की कमी के बीच, मिलें किसानों को समय पर भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रही हैं और कई लोगों को डर है कि मिलें स्थायी रूप से बंद हो जाएंगी।

उन्होंने कहा, यह दुष्चक्र गन्ना किसानों और मिल श्रमिकों की आजीविका को खतरे में डाल रहा है, लेकिन भाजपा सरकार कहीं नजर नहीं आ रही है। क्या प्रधानमंत्री हमें बता सकते हैं कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश के एक समय फलते-फूलते चीनी उद्योग की दुर्दशा को क्यों नजरअंदाज किया?” रमेश ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों पर अपनी ”चुप्पी” तोड़ने की मांग की।

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