गोरखपुर : प्रदेश गन्ना और चीनी उत्पादन में देश में सबसे आगे है, लेकिन फिर भी कुछ चीनी मिल में कम उत्पादन और कम रिकवरी (प्रति क्विंटल गन्ने से चीनी उत्पादन की मात्रा) के चलते किसानों के साथ साथ मिलों को भी नुकसान हो रहा है। कुछ चीनी मिलों ने इस समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली है। खासकर पिपराइच मिल ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की मदद ली है। एमएमएमयूटी (Madan Mohan Malaviya University Of Technology) के शिक्षकों व छात्रों का एक समूह मिल की तकनीकी के अलावा गन्ने की प्रजातियों का भी परीक्षण करेगा।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तीन साल पहले ही लगी पिपराइच चीनी मिल का चीनी रिकवरी 10 से कम रह रहा है। इससे मिल को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले महीने डीएम ने मिल प्रबंधन से इस पर चर्चा की, और इसके बाद मिल प्रबंधन ने चीनी रिकवरी बढ़ाने के उपायों पर शोध के लिए MMMUT से संपर्क किया था। विश्वविद्यालय ने भी इस पर शिक्षकों के अलावा छात्रों के एक समूह को रिसर्च के लिए चिह्नित किया है। शिक्षकों व छात्रों का समूह एक बार मिल का भ्रमण भी कर चुका है। रिसर्च टीम मिल की तकनीकी के अलावा गन्ने की प्रजातियों, बुवाई की विधि आदि का भी परीक्षण करेगी।