उत्तर प्रदेश: गंगा किनारे के गांवों में जैविक गुड़ के उत्पादन को बढ़ावा

बिजनौर: गंगा नदी का प्रदूषण रोकने के लिए बिजनौर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। उसिके चलते गन्ना किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बिजनौर जिला प्रशासन जैविक गुड़ की आपूर्ति के लिए विभिन्न राज्यों से ऑर्डर प्राप्त कर रहा है।अधिकारियों ने कहा कि, इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य गंगा तट पर स्थित किसानों को कीटनाशकों को छोड़ने के लिए मना करना है जो गंगा नदी को प्रदूषित करते हैं। उन्होंने कहा कि, स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) या नमामि गंगे ने गंगा के किनारे के गांवों में जैविक खेती के लिए एक परियोजना शुरू की थी। बिजनौर जिले के सभी 46 गांव जैविक खेती से जुड़े हैं। जिला प्रशासन के एक अनुमान के मुताबिक, चालू वर्ष में 884 हेक्टेयर में फैले लगभग 4,17,250 क्विंटल गन्ने की कटाई होने की उम्मीद है, जिससे 50,070 क्विंटल गुड़ का उत्पादन होगा।

विशेष रूप से, जिले में गुड़ का उत्पादन करने वाले 800 से अधिक कोल्हू है। इसके अलावा सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत बिजनौर के लिए गुड़ का चयन किया है। अधिकारियों के अनुसार तिल, सोंठ, मूंगफली, हल्दी, सूरजमुखी के बीज आदि को मिलाकर जैविक गुड़ तैयार किया जाता है।राष्ट्रीय स्तर पर जिले में बने विभिन्न जैविक उत्पादों, विशेष रूप से गुड़ को बढ़ावा देने की संभावना से उत्साहित, जिला मजिस्ट्रेट उमेश मिश्रा ने विभिन्न जैविक उत्पादों को उगाने वाले किसानों के लिए एक ब्रांड का उद्घाटन किया। मिश्रा ने कहा, जिले में नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्पादित जैविक उत्पाद, विशेष रूप से जैविक गुड़, न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और अन्य राज्यों में भी उच्च मांग में हैं। हमें मध्य प्रदेश से 27 क्विंटल जैविक गुड़ का ऑर्डर मिला है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, मुरादाबाद के कृषि के संयुक्त निदेशक जेपी चौधरी ने कहा, ज्यादातर किसान अपने खेतों में फसल के अवशेषों को जलाते हैं, जो प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसके अलावा, अत्यधिक कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग मिट्टी में कार्बनिक कार्बन या ह्यूमस को खराब तरीके से प्रभावित करता है। मृदा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पहले मिट्टी में 0.8% ह्यूमस था, जो अब 0.2% हो गया है। मिट्टी का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और बदले में मानव स्वास्थ्य खराब हो रहा है। यदि किसान पराली जलाना बंद कर दें तो मिट्टी में ह्यूमस में सुधार होगा। साथ ही जैविक खेती से न केवल मिट्टी उपजाऊ बनेगी बल्कि लोग स्वस्थ भी होंगे।

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