पीलीभीत : राज्य के गन्ना विभाग ने वसंत ऋतु में गन्ने की बुवाई के लिए पंचामृत जारी किया है। इसमें पांच उन्नत गतिविधियां शामिल हैं, जिनका उद्देश्य कृषि आय, गन्ना उपज, मिट्टी में सुधार और सिंचाई के दौरान पानी की बचत करना है। चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने कहा कि, किसानों को अधिक उपज के लिए गन्ना बोने की ट्रेंच विधि अपनाने की सलाह दी गई है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ना किसान गुरजीत सिंह के अनुसार, आमतौर पर ट्रेंच विधि से प्रति हेक्टेयर 2,500 क्विंटल गन्ने की कटाई होती है, जबकि पारंपरिक विधि से प्रति हेक्टेयर केवल 1,500 क्विंटल गन्ने की फसल होती है। एडवाइजरी में गन्ने के कैंसर का जिक्र किया गया है। इसने गन्ने के साथ ‘मूंग’ और ‘उर्द’ जैसी दालों की अंतर-फसल पर भी जोर दिया। एडवाइजरी में ड्रिप इरिगेशन का भी सुझाव दिया गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्लांट फिजियोलॉजिस्ट डॉ एसएस ढाका ने कहा, “ड्रिप इरिगेशन मेथड ट्यूबवेल मेथड की तुलना में 90 से 92% तक पानी बचाता है।”