उत्तर प्रदेश एथेनॉल सम्मिश्रण वृद्धि का प्रमुख लाभार्थी होगा

नई दिल्‍ली : उत्तर प्रदेश अगले दो वर्षों में पेट्रोल के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण में 20 प्रतिशत की वृद्धि का एक प्रमुख लाभार्थी होगा। उत्तर प्रदेश पहले से ही एथेनॉल उत्पादन और सम्मिश्रण में अग्रणी राज्‍य के रूप में उभर रहा है। वर्तमान में, यूपी में 249.49 करोड़ लीटर प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता वाली 75 डिस्टिलरी हैं। राज्य 10 प्रतिशत सम्मिश्रण के साथ देश में एथेनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है।उत्तर प्रदेश में गन्ना मुख्य रूप से राज्य के 45 जिलों में उगाया जाता है और राज्य में इसका क्षेत्रफल लगभग 27.60 लाख हेक्टेयर है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, आबकारी और चीनी उद्योग, संजय आर भूसरेड्डी ने कहा, राज्य सरकार 17 नई डिस्टिलरी इकाइयां स्थापित कर रही है, जो अगले दो वर्षों में चालू होने की उम्मीद है।यूपी देश का सबसे बड़ा एथेनॉल सप्लायर बन गया है। राज्य में डिस्टिलरीज की कुल संख्या 75 है, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 249.49 करोड़ लीटर प्रति वर्ष है।

वित्तीय वर्ष 2016-17 में 38 आसवनियों की 87.05 करोड़ लीटर की स्थापित क्षमता से एथेनॉल उत्पादन 42.70 करोड़ लीटर था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 99.31 करोड़ लीटर हो गया। 53 आसवनियों की स्थापित क्षमता भी बढ़कर 166.17 करोड़ लीटर हो गई। जिसमें से 43.95 करोड़ लीटर एथेनॉल राज्य में इस्तेमाल होता है जबकि 52.60 करोड़ लीटर एथेनॉल राज्य के बाहर बेचा जाता है।

वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 10 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इसे चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान पूरा किया जाना है।वर्तमान में, देश में लगभग 8.1 प्रतिशत की औसत से वास्तविक सम्मिश्रण पूरा किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में 10 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य पहले ही प्राप्त कर लिया गया है।अधिशेष चीनी डायवर्जन को देखते हुए, 47 चीनी मिलों ने सीजन 2020-21 में बी-हैवी शीरा का उत्पादन करके 7 लाख टन चीनी का डायवर्ट किया। मौजूदा पेराई सीजन में बी-हैवी की 58 चीनी मिलों और सीधे गन्ने के रस या चाशनी की 10 चीनी मिलों से आने वाले पेराई सीजन में लगभग 10-12 लाख टन चीनी डायवर्ट होने की उम्मीद है।

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