उत्तराखंड: गन्ना उत्पादन से बदल रही है महिलाओं की भी किस्मत

पिथौरागढ़ : गन्ने की फसल ने देश के करोड़ों किसानों की किस्मत बदल दी है, साथ ही 5 लाख से जादा लोगों को रोजगार के अवसर भी दिए है। इतना ही नही अब इसी गन्ने की फसल की बदौलत कई महिलाओं के आर्थिक जीवनस्तर में काफी सुधार हो रहा है। गन्ना फसल से जुडी इस आर्थिक क्रांति से उत्तराखंड भी जुडा हुआ है। प्रदेश की सीमांत क्षेत्र की महिलाएं गन्ना उत्पादन से जुड़ रही हैं।पिछले साल तक कनालीछीना ब्लॉक की जहां 111 महिलाएं गन्ने की खेती से जुड़ी थीं वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 200 हो गई है।

‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, महिलाओं को गन्ने की खेती से जोड़ने के लिए पूर्व सैनिक सुंदर सिंह अन्ना का प्रयास रंग ला रहा है। अन्ना ने बताया कि स्वयं सहायता मातृ शक्ति समूह ढूंढू गांव समेत आसपास के गांवों से जुड़ीं 60 महिलाएं गन्ना उत्पादन कर रही हैं। इस वर्ष नेपाल सीमा से लगे घिंघरानी, द्वालीसेरा, बगड़ी गांव, सुनखोली, मझगांव, सुजल, मातोली, बचकोट, गैनाली में 70 क्विंटल गन्ना बीज रोपा जाएगा। पिछले वर्ष कनालीछीना क्षेत्र में ही 80 क्विंटल गन्ना उत्पादन हुआ। इससे 40 क्विंटल का गुड़ बनाया गया। 40 क्विंटल गन्ने का फ्रेश जूस बनाकर बेचा जा रहा है। अन्ना ने बताया कि काशीपुर गन्ना अनुसंधान केंद्र के आयुक्त चंद्र सिंह धर्मशक्तू काश्तकारों को तकनीकी सहायता मुहैया करा रहे हैं। कृषि विभाग अनुदान पर किसानों को फफूंद नाशक जैविक दवाएं उपलब्ध करा रहा है।

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