सरकार, चीनी मिलों को किसानों की ताकत दिखाएंगे: पूर्व सांसद राजू शेट्टी

कोल्हापुर: पिछले वर्ष से चीनी को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है। वहीं, एथेनॉल, बिजली और अन्य उप-उत्पादों के माध्यम से चीनी मिलों की आय और लाभ में वृद्धि हुई है। हम मिलों से उनको प्राप्त अधिशेष मुनाफे में से किसानों का उचित हिस्सा मांग रहे हैं। इसलिए जब तक मिलें 400 रुपये प्रति टन की अतिरिक्त किस्त नहीं चुकातीं, तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे। आक्रोश पदयात्रा के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ चीनी मिलर्स को भी प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों की एकता देखने को मिलेगी। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष, पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने 17 अक्टूबर 2023 से शुरू होने वाली ‘आक्रोश पैदल यात्रा’ के मद्देनजर ‘चीनीमंडी’ से खास बातचीत की। उन्होंने ‘आक्रोश पदयात्रा’ को लेकर अपनी बातें साझा की…

गन्ना मूल्य को लेकर किसानों में आक्रोश…

पिछले वर्ष चीनी और उप-उत्पादों को अच्छी कीमत मिल रही है। इसके कारण, पेराई लागत में कटौती और एफआरपी का भुगतान करने के बाद भी चीनी मिलों के पास अच्छा पैसा बचा है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की ओर से 13 सितंबर 2023 को कोल्हापुर में संयुक्त चीनी निदेशक कार्यालय पर मार्च निकाला गया और मिलों से 2 अक्टूबर 2023 तक 400 रुपये प्रति टन की अतिरिक्त किस्त की मांग की गई। राज्य में तीन से चार चीनी मिलों ने एफआरपी से 300 से 540 रुपये अधिक का भुगतान किया है, अन्य मिलें भुगतान करने से बच रही है। इसके चलते सांगली और कोल्हापुर जिलों में चीनी मिलों के प्रति गन्ना किसानों का विरोध जताने के लिए यह पदयात्रा निकाली जाएगी। इस पदयात्रा में हजारों किसानों की भीड़ उमड़ने का अनुमान है।

गावोंगांवों से किसानों का उत्साहपूर्ण समर्थन…

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के इस पदयात्रा को गावोंगांवों के किसानों का उत्साहपूर्ण समर्थन मिल रहा है। कई गांवों में किसान एक साथ आकर पैदल यात्रा की तैयारियों में जुटे है। पदयात्रा के दौरान आने वाले किसानों के लिए भोजन, नाश्ता और स्वागत की तैयारी की जा रही है। आंदोलनकारियों के ठहरने और दोपहर के भोजन के लिए विशेष रूप से गाँव से रोटी एकत्र करके भोजन की व्यवस्था की जाएगी। किसान अपने पसीने की कीमत पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

तीन साल से चीनी मिलों का नहीं हुआ ऑडिट…

राज्य और केंद्र सरकार चीनी मिलों की कठपुतली बनी हुई है। पिछले तीन साल से चीनी मिलों का ऑडिट नहीं हुआ है। दरअसल, कानून के मुताबिक, मिल का पेराई सीजन खत्म होने के 15 दिनों के भीतर ऑडिट की गई एफआरपी से अधिक राशि का भुगतान करना अनिवार्य है। प्रदेश की एक- दो मिलों को छोड़कर बाकि मिलें भुगतान करने में आनाकानी कर रही है, और राज्य सरकार भी जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रही है। चीनी मिलें और राज्य सरकार के इस रवैये से किसानों में काफी गुस्सा है।

चीनी मिलों द्वारा प्रति टन 400 रुपये देना संभव…

चीनी और इसके सह-उत्पादों की कीमत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अच्छी मिल रही है। चीनी मिलों द्वारा चीनी बिक्री की औसत कीमत 3300 रुपये प्रति क्विंटल मानी जाती है, लेकिन वर्तमान में वही चीनी 3700 से 3800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। इसका मतलब है कि, मिलों को प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपये ज्यादा कमाई हो रही है। जिसके चलते मिलों को प्रति टन 400 रुपये की दूसरी अतिरिक्त किस्त का भुगतान भी संभव है।

किसान सड़क की लड़ाई लड़ने को तैयार…

उत्पादन लागत में भारी वृद्धि के कारण गन्ना किसान आर्थिक संकट में हैं। खाद, बीज, कीटनाशक, बढ़ी हुई मजदूरी, पानी बिल में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन उनकी आय ऊस हिसाब से नही बढ़ रही है। किसानों की मांग बिल्कुल भी अनुचित नहीं है।किसानों को उनके हक का पैसा मिलना ही चाहिए। इसीलिए किसान 400 रुपये प्रति टन अतिरिक्त क़िस्त पाने के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

 

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