बस्ती : बस्ती चीनी मिल बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां राज्य की बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से खुलवा रहे हैं, वहीं बस्ती व वाल्टरगंज चीनी मिल अभी भी बंद हैं। इन मिलों के कर्मचारियों की बड़ी दयनीय स्थिति हो गई है। मिलों के बंद होने से कर्मचारियों के वेतन बंद हो गये हैं। किसानों के पैसे फंसे हुए हैं।
समिति के सदस्यों ने चीनी मिलों के खिलाफ आवाज बुलंद किया है और मिलों के कार्यलय पर धरना देना शुरु किया है। समिति ने सरकार से इन मिलों को फिर से चालू करने की मांग उठाई है। समिति ने राष्ट्रपति को संबोधित अपनी सात सूत्रीय मांग पत्र उपायुक्त को सौंपा है।
समिति के अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि चीनी मिलों द्वारा किसानों को पांच वर्षों से बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। मिल के कर्मचारी वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। भुखमरी अब उन्हें परेशान कर रही है।
किसान मजदूर मंच के प्रवक्ता श्याम मनोहर जायसवाल ने बस्ती चीनी मिल बंद करने को एक बड़ा षड्यंत्र बताया। उन्होंने कहा कि इससे किसानों और कर्मचारियों के हित को नुकसान हुआ है। एक अन्य सदस्य रमाकांत वर्मा ने कहा कि चीनी मिलों के खिलाफ हमारी लड़ाई तबतक जारी रहेगी जबतक मिलों से हमें उचित न्याय नहीं मिल जाता।