4 मई के बाद और ‘कड़वी’ हो जाएगी चीनी, 50 रुपये के पार जा सकती हैं कीमतें

Image Credits: Ganache Patisserie.

मीठा खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए बुरी खबर। 4 मई के बाद मीठा खाने के लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी पर केंद्र सरकार सेस लगाने जा रही है, जिससे इसकी कीमत 50 रुपये के पार जा सकती है। अभी खुले मार्केट में चीनी का दाम 40-45 रुपये प्रति किलो के आस-पास है।
5 फीसदी लग सकता है सेस
4 मई को जीएसटी गन्ना किसानों को राहत मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार चीनी की कीमत पर 5 प्रतिशत उपकर लगाने की तैयारी में है। खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने यह प्रस्ताव रखा है, जिसपर 4 मई को जीएसटी परिषद् की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

देश के विभिन्न राज्यों में चीनी की कीमत लगातार नीचे गिर रही है और चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का भारी बकाया हो गया है। चीनी उत्पादकों ने इस समस्या के मद्देनजर सरकार से गुहार लगाई थी। हाल ही में मंत्रियों के समूह ने किसानों को राहत मुहैया कराने के लिए तीन फॉर्मूलों पर विचार भी किया था। इनमें एक चीनी पर उपकर लगाकर गन्ना किसानों को राहत देना शामिल था।

तत्काल राहत के लिए उपकर बेहतर
मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए उपकर लगाने का ही रास्ता सबसे बेहतर है और 5 फीसदी उपकर लगाने की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद कोई भी उपकर सीधे तौर पर नहीं लगाया जा सकता। इसलिए यह प्रस्ताव जीएसटी परिषद को भेज दिया गया है। आगामी 4 मई को होने वाली परिषद की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा।
लगातार गिर रही चीनी की कीमतें

मौजूदा समय में देश के विभिन्न राज्यों में चीनी की औसत थोक कीमत 30 से 35 रुपये चल रही है। अगर 5 प्रतिशत उपकर सरकार की ओर से लगाया जाता है, तो चीनी की कीमत प्रति किलो पौने दो रुपये तक बढ़ सकती है। थोक बाजार में चीनी की एक्स फैक्ट्री कीमत घटकर उत्पादन लागत की तुलना में करीब 8 रुपये प्रति किलो नीचे आ गई है।

उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर 2,800 से 2,950 और महाराष्ट्र में इसके भाव घटकर 2,700 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसके चलते सरकार उपकर को ही तत्काल राहत का कदम मान रही है।

वर्ष 2015-16 में भी केंद्र ने प्रति क्विंटल 4.50 रुपये सीधे गन्ना किसानों के खाते में जमा किए थे, जिससे उद्योग को बड़ी राहत मिली थी। मूल्य का यह अंतर गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर दिया गया था।

अभी और बढ़ेगा गन्ना बकाया
कृषि, खाद्य एवं उपभोक्ता, पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन मंत्री की बैठक में चीनी पर उपकर लगाने के अलावा, किसानों को उत्पाद पर सब्सिडी दिए जाने और एथेनॉल में जीएसटी कम किए जाने पर विचार किया था। गौरतलब है कि मौजूदा समय में किसानों की बकाया राशि 18,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है। अनुमान है कि बकाया धनराशि सीजन के अंत तक बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी।

SOURCEAmar Ujala

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