राष्ट्रीय शर्करा संस्थान स्थित प्रायोगिक चीनी मिल का पेराई सत्र शुरू

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान स्थित प्रायोगिक चीनी मिल मे संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के द्वारा गन्ना-वाहक (शुगरकेन कैरियर) की पूजा के साथ पेराई सत्र का आज शुभारंभ किया गया। इस प्रायोगिक चीनी मिल को शर्करा तकनीकी पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए संचालित किया जाता है। जिससे उन्हे चीनी मिल मे कार्य का “प्रायोगिक अनुभव” प्राप्त हो सके। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक ने कहा कि यह संस्थान विश्व का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहाँ विद्यार्थियों को चीनी कारखाने के संचालन का प्रायोगिक अनुभव प्रदान करने के लिए ऐसी व्यवस्था है। यहाँ विद्यार्थी स्वयं अपने हाथों से संयंत्रो के संचालन का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार कार्य का प्रायोगिक अनुभव प्राप्त करने से विद्यार्थियों मे विषय की समझ और आत्मविश्वास की बढ़ोत्तरी होती है। यही कारण है कि आज संस्थान से पढे हुये विद्यार्थियों की विश्व भर के चीनी कारखानों मे मांग है। उन्होने यह भी कहा कि इस पेराई सत्र के दौरान विदेशों के विद्यार्थी भी अपना प्राथमिक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

इस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान प्रायोगिक चीनी मिल के उत्पादन प्रमुख सह सहायक आचार्य श्री एस के त्रिवेदी ने कहा कि विद्यार्थियों को शर्करा तकनीक के क्षेत्र मे हुये नवीनतम तकनीकी विकास के संदर्भ मे अपेक्षित जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अर्थपूर्ण बनाने के उद्देश्य से संस्थान ने कई कदम उठाए हैं। जिनमे गन्ने के पेराई मे लगे मिल को स्वचालित और सतत सेंट्रीफ्यूगल मशीन के अतिरिक्त गन्ना पेरने की मिलों हेतु वेरिएबल फ्रिक्वेंसी ड्राइव लगाए गए हैं। इस पेराई सत्र के दौरान सल्फ्यूर चीनी, कच्ची चीनी, और रिफाइन्ड चीनी का उत्पादन किया जाएगा जिससे विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के चीनी के उत्पादन तकनीक और विभिन्न प्रकार के चीनी की गुणवत्ता के बारे मे जान सकेंगे।

कार्यक्रम के दौरान प्रायोगिक चीनी मिल की अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख तथा सहायक आचार्य श्री अनूप कुमार कनौजिया ने उत्साहपूर्वक कहा कि इस पेराइ सत्र के दौरान संस्थान के द्वारा कई नवीन तकनीकों का परीक्षण भी किया जाएगा जिसमे संघनित जल (कंडन्सेट) का एंज़ाइमों के माध्यम से उपचार के उपरांत एक्टिव कार्बन और रिवर्स ओसमोसिस (RO) तकनीक के द्वारा उसे पीने योग्य जल मे परिवर्तित करना भी शामिल है। यदि इस तकनीक के परीक्षण मे पर्याप्त सफलता प्राप्त होती है तो इससे चीनी कारखानों को अतिरिक्त आय का एक स्रोत प्राप्त होगा और वे समाज को पेयजल आपूर्ति भी कर सकेंगे।

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