भारत के जैव ईंधन मानक इंडस्ट्री के लिए इस दिशा में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं: महानिदेशक, बीआईएस

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), जोकि भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है, प्रासंगिक मानकों के विकास के माध्यम से देश की हरित पहल को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के माध्यम से, बीआईएस ने घोषणा की कि भारतीय मानक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) के उद्देश्यों को महत्वपूर्ण रूप से पूरक करेंगे, जो हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित बहुपक्षीय मंच है।

बीआईएस विज्ञप्ति में महानिदेशक, बीआईएस, श्री प्रमोद कुमार तिवारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि, “जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) की घोषणा स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में एक ऐतिहासिक कदम है।” हम, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) में, भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय होने के नाते, प्रासंगिक भारतीय मानकों और आवश्यक गुणवत्ता मापदंडों/प्रदर्शन विशिष्टताओं के विकास के माध्यम से भारत सरकार की इस अग्रणी पहल का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

विज्ञप्ति में उन प्रमुख मानकों पर भी प्रकाश डाला गया जो निर्माताओं, व्यापारियों और जैव ईंधन या संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत अन्य संस्थाओं सहित हितधारकों की सहायता करेंगे। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम और जीबीए के उद्देश्यों का समर्थन करते हुए विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीआईएस ने जैव ईंधन पर निम्नलिखित नौ भारतीय मानक विकसित किए हैं:

आईएस 15464: 2022 मोटर गैसोलीन में सम्मिश्रण घटक के रूप में उपयोग के लिए निर्जल इथेनॉल – विशिष्टता
आईएस 15607: 2022 बायोडीजल बी-100 – फैटी एसिड मिथाइल एस्टर फेम – विशिष्टता
आईएस 16087: 2016 बायोगैस (बायोमेथेन) – विशिष्टता (पहला संशोधन)
आईएस 16531: 2022 बायोडीजल डीजल ईंधन ब्लेंड बी8 से बी20 विशिष्टता
IS 16629: 2017 ED95 ऑटोमोटिव ईंधन में उपयोग के लिए हाइड्रस इथेनॉल – विशिष्टता
आईएस 16634: 2017 ई85 ईंधन (निर्जल इथेनॉल और गैसोलीन का मिश्रण) – विशिष्टता
आईएस 17021: 2018 ई 20 ईंधन – निर्जल इथेनॉल और गैसोलीन का मिश्रण – स्पार्क प्रज्वलित इंजन चालित वाहनों के लिए ईंधन के रूप में – विशिष्टता
viii. आईएस 17081: 2019 विमानन टरबाइन ईंधन (केरोसिन प्रकार, जेट ए – 1) जिसमें संश्लेषित हाइड्रोकार्बन शामिल हैं – विशिष्टता
आईएस 17821: 2022 पॉजिटिव इग्निशन इंजन चालित वाहनों में उपयोग के लिए ईंधन के रूप में इथेनॉल – विशिष्टता

विज्ञप्ति के माध्यम से यह भी सूचित किया गया है कि इसके अतिरिक्त, 2जी फीडस्टॉक से प्राप्त पैराफिनिक (हरित) डीजल पर मानक का विकास भी प्रगति पर है। बीआईएस का मानना है कि इन मानकों की मदद से जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हासिल की जा सकती है और इससे बहुआयामी लाभ मिलेगा। विज्ञप्ति के अनुसार यह भी कहा गया कि ‘यह न केवल 2070 तक शुद्ध शून्य और नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से 50% ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, वेस्ट टू वेल्थ, किसानों की आय में वृद्धि करना जैसे कई अन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने में भी योगदान देगा।

विशेष रूप से, नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में 18वें G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, G20 नेताओं ने ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (GBA) लॉन्च किया – जो जैव ईंधन को अपनाने की सुविधा के लिए 30 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का एक मंच है। जीबीए स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य की दिशा में भारत के नेतृत्व वाली एक पहल है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय नीति के निर्माण, बाज़ार के विकास, तकनीकी योग्यता के विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों और अभ्यास संहिता को अपनाने और कार्यान्वयन के माध्यम से टिकाऊ जैव ईंधन के विश्वव्यापी विकास और तैनाती को प्राप्त करना है।

कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत – जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता हैं। ये तीनों देश संयुक्त रूप से वैश्विक स्तर पर इथेनॉल के 85% उत्पादन और 81% खपत में भागीदारी रखते हैं। 2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 99 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और सन् 2032 तक इसका 5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भारतीय उद्योगों के लिए एक बड़ा अवसर पैदा होगा और इसके भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में किसानों की आय, रोजगार सृजन और समग्र विकास में योगदान मिलेगा।

एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में भारत में परिवहन क्षेत्र के लिए ईंधन की लगभग 98% आवश्यकता जीवाश्म ईंधन से और शेष 2% जैव ईंधन से पूरी होती है। वर्ष 2020-2021 में भारत के पेट्रोलियम आयात से सरकारी खजाने को लगभग 55 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अभी हाल ही में, रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि की है और बढ़ी हुई कीमतों के साथ तेल और गैस के आयात ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर और बोझ पड़ा है। गैसोलीन के साथ 20% तक इथेनॉल के मिश्रण से लगभग 4 बिलियन डॉलर की बचत होगी।

अत:, भारतीय तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 1जी और 2जी इथेनॉल के उत्पादन के लिए नई डिस्टिलरीज का प्रावधान करने की दिशा में काम कर रही हैं और भारतीय वाहन निर्माता इथेनॉल मिश्रित ईंधन के अनुरूप इंजन विकसित कर रहे हैं। सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गुड़ और अनाज आधारित डिस्टिलरीज के लिए ब्याज में छूट योजना भी शुरू की है। यह भी अनुमान है कि फ्लेक्स ईंधन वाहन, जो 85% तक इथेनॉल मिश्रित गैसोलीन का उपयोग करने में सक्षम हैं, और पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील में इसका परिचालन हो रहा हैं, जल्द ही यह भारत में प्रवेश करने वाले हैं।

(Source: PIB)

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