मोरना चीनी मिल ने ऑनलाइन सिस्टम के ज़रिए पर्ची निगमन में होने वाली अनियमितताओं पर लगाई लगाम

मुजफ्फरनगर, 2 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में गन्ना पैराई को लेकर चीनी मिलें जोर शोर से काम कर रही है। प्रदेश में सबसे ज़्यादा मिलों में पश्चिम यूपी में काम चल चल रहा है। नीजि चीनी और सहकारी चीनी मिलों ने अपने किसानों के सुविदित और सहायता के लिए विशेष गन्ना पैराई काउंटर कैम्पेन चला रखा है। प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों का वैसे तो सहकारी और नीजि सभी चीनी मिलें पालन कर इस बार के गन्ना पैराई सत्र मे सत प्रतिशत लक्ष्य पूरा करने के लिए कृत संकल्पित है लेकिन सहकारी चीनी मिलों में माहौल कुछ बदला बदला सा है। गन्ना पैराई सत्र की हकीकत जानने के लिए हमारी टीम ने दौरा किया मुजफ्फरनगर की मोरना सहकारी चीनी मिल का।

मोरना सहकारी चीनी मिल से मुजफ्फरनगर नगर के तक़रीबन 140 गाँव जुड़े है, इन गाँवों के क़रीबन 10 हज़ार किसान यहाँ गन्ना लेकर गन्ना आते है। इस मिल के चैयरमैन मुमताज़ अली ने बताया कि हमने इस साल 24 अक्टूबर को गन्ना पैराई सत्र शुरु किया है। मिल में पहले दिन हमने पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर गन्ना पैराई सत्र शुरु किया है। उद्घाटन के मौक़े पर अतिरिक्त ज़िलाधीश अनु मलिक सहित प्रशासन के कई लोग पहुँचे थे। मुमताज़ ने कहा कि ज़िले में तक़रीबन दो दर्जन चीनी मिलें है लेकिन सहकारी क्षेत्र की एक ही मिल है। इसलिए यहाँ ज़िले के अधिकांश किसान जुड़े है जिसके कारण काम भी बहुत ज़्यादा रहता है। 2019-20 के गन्ना पैराई सत्र के लिए हमने 50 लाख टन गन्ना का लक्ष्य रखा गया है । इस सत्र में गन्ना पैराई की शुरुआत से अबतक तक़रीबन 25 लाख टन गन्ने की पैराई हो चुकी है। पैराई सत्र आगामी मई माह के प्रथम सप्ताह तक चलेगा। पिछली बार भी चीनी मिल में 15 मई तक पैराई हुई थी।

मुमताज़ ने कहा कि मिल में 25 हज़ार से 30 हज़ार टन गन्ना की प्रतिदिन पैराई हो रही है। किसानों को सुविधा देने के लिए मिल में हर तरह की पूरी तैयारी हमने कर रखी है। गन्ना किसानों के रुकने के लिए गेस्ट रूम बना रखा हैं। बिजली पानी की भी पूरी व्यवस्था की हुई है। अल्पाहार की सुविधा है। किसानों को वाहनो के लिए टिन सैड बनाए हुए हैं। मिल में साफ़ सफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मिल के दोनों ओर मुख्य मार्ग की सड़कें बना हुई है। बाज़ार से सीधा लिंक है।

मोरना सहकारी चीनी मिल के महा प्रबंधक हर्षवर्धन कौशिक ने कहा कि चीनी मिल में सिफ्टों में किसान गन्ना लेकर आ रहे है। 8 से 10 गाँवों की एक सिफ्ट बनी हुई है। किसानों को किसी तरह की कोई समस्या न हो इसके पूरे इन्तज़ाम किए हुए है। पिछले साल पर्ची को लेकर किसानों की कई चिन्ताएँ थी उनको इस बार दूर करने के पूरे प्रयास किए गए है। गन्ना किसानों को ऑन लाइन पर्ची की हमने व्यवस्था की हुई है। पर्ची मिलने के तीन दिन में किसान गन्ना लेकर आ सकता है। गन्ना लाने के 20 दिन के भीतर किसानों को बकाया का पूरा भुगतान हम कर रहे है। हमारे पिछले साल का किसानों का पूरा बकाया दिया जा चुका है। कौशिक ने कहा कि किसानों के साथ हमारा लगातार संवाद बना रहता है। एक बीघा ज़मीन वाले किसान को दो पर्ची दी जा रही है। पर्ची में भृष्टाचार रोकने के लिए कैलेंडर लगाया गया है। कौशिक ने कहा कि इस बार हमारी चीनी मिल ने समय से पूर्व गन्ना पैराई शुरु कर दी थी। पूरे प्रदेश में किसानों को जागरुक कर हमने गन्ने की अगेती क़िस्में लगाने के लिए जागरुक किया गया था। गन्ने की C236 और C238 जैसी क़िस्मों की खेती करने के लिए प्रेरित किया गया। गन्ना किसानों ने बडी तादाद में इन क़िस्मों को लगाया है। जिससे इस बार समय पर गन्ने की फसल पक कर तैयार हो गयी है और अक्टूबर अन्त में गन्ना हमारी मिलों में आना शुरू हो गया। कौशिक ने कहा कि समय पूर्व गन्ने की पैराई शुरु होने से मिल में काम भी का सुचारू हो रहे हैं, इससे किसानों को हम उनके गन्ने का बकाया समय पर देने के लिए प्रतिबद्ध है।

मोरना चीनी मिल में गन्ना लेकर आए किसान जगदीप ने बताया कि रात की शिफ़्ट में हमारी गन्ने की ट्रॉली उतरेगी और मिल में आराम करने की पूरी व्यवस्था यहाँ की हुई है। अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे एक अन्य किसान रेवती काम ने कहा कि हम दिन में आए थे शाम तक हमारा नम्बर पड़ेगा हम किसान गेस्ट हाउस में बैठे हुए है किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को पैराई सत्र के दौरान किसी भी तरह की समस्या न हो इसके लिए शासन को सख़्त निर्देश दे रखे हैं जिसकी पालना में गन्ना और चीनी विकास विभाग ने मिलों को निर्देशित कर रखा है। उसकी पूर्ति के लिए मिलें भी किसानों के हित में पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए किसी भी तरह की कोताही करने से बच रही है ।

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