उत्तर प्रदेश में अगले मौसम में चीनी मिलें कार्यरत रहना मुश्किल. बाजार में उत्पादन लागत से निचले स्तर पर रहे चीनी के दाम और गन्ने कि बंपर पैदावार से भारी मात्रा में उत्पादित चीनी के वजह से, देश का चीनी उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है.
किसानो को २२००० करोड़ रुपया बकाया राशि चीनी मीलों को अदा करना बाकी है. इस आर्थिक संकट से निपटने से इस मौसम में गन्ने की बंपर पैदावार से चीनी मीलों की माली हालत अधिक गंभीर होने की आशंका जताई जा रही है. इस बात को मद्ये नजर रखते हुए उत्तर प्रदेश की चीनी मीलों ने अगले मौसम में गन्ने की क्रशिंग करने में असमर्थता जता कर, एक तरीके से सरकार को चेतावनी दी है. चीनी की कम दाम का हवाल देते हुए चीनी मिले फिल्ड सर्वे सहित, चीनी उत्पादन के लिए आवश्यक अन्य गतिविधियों में शामिल होना और गन्ने की क्रशिंग करना चीनी मिलों को कठिन हो सकता है.
इसकी वजह से गन्ने के अगले मौसम में चीनी मिले बंद रहने की आशंका जताते हुए, चीनी उद्योग जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनका योग्य और असरदार समाधान ढूँढना अब आवश्यक हो गया है.
इस के लिए चीनी का न्यूनतम दाम तय करना चीनी उद्योग की प्रमुख मांग है. उत्तर प्रदेश और महारष्ट्र जैसे बड़े और भारी मात्रा में चीनी का उत्पादन करने वाले राज्यों के लिये अलग अलग न्यूनतम सुनिश्चित करना भी इस में शामिल है. चीनी उद्योग के एक प्रतिनीधी ने इस बात की पुष्टि करते हुए चीनी उद्योग की समस्याओं पर विस्तृत टिपण्णी की है.