FRP में वृद्धि से महाराष्ट्र, कर्नाटक की चीनी मिलों के मुनाफे पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली : क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA ने कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वृद्धि से चीनी मिलों की लाभप्रदता कम होने की उम्मीद है। वहीं, चीनी उद्योग को उम्मीद है कि, गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी से मक्के और चावल के मुकाबले गन्ने की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। FRP में 315 रुपये प्रति क्विंटल से 340 रुपये प्रति क्विंटल तक के बढ़ोतरी से 5 करोड़ गन्ना किसानों को चीनी उद्योग के माध्यम से 10,000 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया जायेगा।

उद्योग संगठन ISMA ने कहा है कि, एफआरपी में बढ़ोतरी से किसानों को मदद मिलेगी। इस वृद्धि से किसानों को गन्ना उगाने के लिए बढ़ते खर्च को पूरा करने में मदद मिलेगी और गन्ने को चावल, मक्का आदि जैसी अन्य फसलों के मुकाबले अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने में मदद मिलेगी। चीनी उद्योग के माध्यम से गन्ना किसानों को 10,000 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जायेगा।

यदि चीनी की कीमतें 36 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में रहती हैं, तो क्षेत्र के विश्लेषकों को चीनी मिलों के मुनाफे में कमी की उम्मीद है। ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख गिरीशकुमार कदम ने कहा, चीनी वर्ष 2025 (अक्टूबर 2024-सितंबर 2025) के लिए गन्ने की एफआरपी में वृद्धि के संबंध में सरकार के हालिया फैसले से, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे एफआरपी का पालन करने वाले राज्यों के लिए 2.4 रुपये प्रति किलोग्राम चीनी उत्पादन की लागत बढ़ने की संभावना है। ICRA को उम्मीद है कि, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों की लाभप्रदता 80-100 बीपीएस तक कम हो जाएगी, क्योंकि घरेलू चीनी की कीमतें 36-36.5 रुपये प्रति किलोग्राम पर बनी हुई हैं।

 

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