प्रतिद्वंद्वी देशों ने भारत के खिलाफ छेड़ी चीनी की जंग

प्रतिद्वंद्वी देशों ने भारत के खिलाफ चीनी युद्ध छेड़ दी है। प्रत्येक बीतते दिन के साथ, कोई ना कोई नया देश विश्व व्यापार संगठन (WTO) में यह दावा करने के लिए दौड़ रहा है कि भारतीय चीनी सब्सिडी उनके देश के चीनी उद्योग को बाधित कर रहा है।

ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील ने WTO से भारतीय चीनी सब्सिडी पर अपने विवाद को हल करने के लिए एक पैनल बनाने का आग्रह किया था, जिसके बाद अब अमेरिकी देश ग्वाटेमाला ने भी वही मांग की है।

रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के बाद, चीनी क्षेत्र अतिरिक्त चीनी के दबाव से त्रस्त है; इसलिए, उद्योग का मानना है कि निर्यात की सख्त आवश्यकता है। भारतीय चीनी उद्योग पिछले दो से तीन वर्षों से विभिन्न बाधाओं से जूझ रहा है, और इस क्षेत्र को संकट से बाहर लाने के लिए सरकार ने सॉफ्ट लोन योजना, न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी, निर्यात शुल्क में कटौती, आयात शुल्क में 100 प्रतिशत वृद्धि जैसे विभिन्न उपाय उठाये हैं।

फरवरी 2019 में, ग्वाटेमाला और अन्य देशों ने, भारत के चीनी सब्सिडी के खिलाफ WTO का दरवाजा खटखटाया था। इन देशो ने आरोप लगाया की भारत के चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के असंगत हैं और चीनी बाजार को विकृत कर रही हैं।

WTO के मानदंडों के अनुसार पहले विवाद को परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से हल करने की आवश्यकता है और यदि यह विफल रहता है, तो पैनल स्थापित किया जा सकता है। सभी प्रतिद्वंद्वी देश परामर्श के माध्यम से पारस्परिक रूप से सहमत समाधान तक पहुंचने में विफल रहे, जिसके बाद उन्होंने WTO को मामले की समीक्षा करने के लिए एक पैनल बनाने के लिए कहा।

आपको बता दे अगर WTO का पैनल भारत के खिलाफ निर्णय देता है, तो वह अपीलीय निकाय से संपर्क कर सकता है, जिसका निर्णय अंतिम और सभी पर बाध्यकारी होगा।

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