गन्ना श्रमिकों से अग्रिम राशि वसूलने के लिए बिचौलिए द्वारा रंगदारी, अपहरण का सहारा: मीडिया रिपोर्ट

पुणे : ग्रामीण महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पेराई सीजन से पहले दिए गए अग्रिम राशि की वसूली के लिए बिचौलियों द्वारा जबरन वसूली, अपहरण का सहारा लिया जा रहा है और शोषण का एक और मामला भी सामने आया है।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बिचौलियों के खिलाफ 21 अप्रैल को परभणी के जिंतूर में भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (अपहरण), 384 (जबरन वसूली), 341 (गलत तरीके से रोकना), 344 (गलत तरीके से बंधक बनाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। चूंकि गन्ना श्रमिकों को दी जाने वाली अग्रिम राशी प्रति टन निर्धारित की जाती है, और गन्ने का वजन कम होने से श्रमिकों के आय में भी गिरावट आई है।

मध्य महाराष्ट्र के बीड और अन्य जिलों के लगभग 8 लाख श्रमिक अपने घरों से कई किलोमीटर दूर चीनी मिलों में गन्ना काटने के लिए अक्टूबर में जाते हैं। सीजन के 180 दिनों के लिए उन्हें लगभग 1 लाख मिलते है। दो सप्ताह पहले समाप्त हुए सीजन में प्रति हेक्टेयर चीनी उत्पादन में औसतन 110 टन से 80 टन तक की गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण पिछले सीजन में असमान बारिश थी। इसके परिणामस्वरूप उम्मीद से प्रति दिन वजन में कम गन्ने की कटाई हुई है। जिसके कारण बिचौलिए या मुकादम अब अग्रिम वसूली के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।

चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि समस्या इसलिए भी हुई है क्योंकि पेराई सीजन औसतन 170 दिनों के बजाय सिर्फ 110 दिनों तक चला। उन्होंने कहा कि, हालांकि आम तौर पर कटर प्रति सीजन 90,000 रुपये कमाते हैं, लेकिन इस सीजन में वास्तविक मजदूरी घटकर लगभग 60,000 रुपये रह गई है।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को की गई शिकायत में श्रमिकों के अपहरण और शोषण के कम से कम आधा दर्जन मामलों का हवाला दिया है। इनमें से एक मामला इस साल की शुरुआत में परभणी के जिंतूर की एक गर्भवती गन्ना काटने वाली ललिता जाधव के शोषण से जुड़ा है।

भाकपा के राजन क्षीरसागर ने कहा कि अत्याचार और रंगदारी के ऐसे सैकड़ों मामले हैं, लेकिन पुलिस मामले दर्ज नहीं कर रही है। हालांकि जबरन वसूली के ऐसे मामले हर साल होते है। इस साल उत्पादन में गिरावट और अपेक्षाकृत छोटे मौसम के कारण यह संख्या काफी बढ़ गई है। यह पहला मामला है, जिसमें एफआईआर दर्ज की गई है। हमने इन मामलों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग की मांग की है। गन्ना श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम करने वाले जागर प्रतिष्ठान के अशोक तांगड़े ने कहा कि, गन्ना श्रमिकों का शोषण एक गंभीर मुद्दा है।

इस बीच, चीनी आयुक्त ने कहा कि वे चीनी मिलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि अनुबंध ट्रांसपोर्टरों और मिलों के बीच होते हैं और यह ट्रांसपोर्टर हैं जो बिचौलियों को नियुक्त करते हैं। दूसरी ओर, चीनी मिलों ने गन्ना श्रमिकों के खिलाफ शिकायत की है कि उन्होंने अग्रिम राशि का भुगतान न करके 42 करोड़ रुपये की 50 मिलों को धोखा दिया है। सोलापुर की एक फैक्ट्री ने कटर और उनके ठेकेदार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।

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